कांग्रेस ने शुक्रवार को पेश किए गए अंतरिम बजट को ‘बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र’ करार दिया और कहा कि मोदी सरकार के प्रदर्शन के रिपोर्ट कार्ड को मुहैया कराए बगैर यह लोकसभा चुनाव के लिए मतदाताओं को लुभाने का प्रयास है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “आज का बजट बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र है। यह और कुछ नहीं बल्कि मतदाताओं को घूस देने की कोशिश की है। बजट की यह पूरी कवायद आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर की गई है।”
उन्होंने कहा, “बजट में सरकार के 5 साल के प्रदर्शन के बारे में कुछ नहीं है। उन्होंने क्या उपलब्धि हासिल की और उनके कितने वादे पूरे हुए इस बारे में नहीं बताया गया।” खड़गे ने वोट ऑन अकाउंट के बदले ‘पूर्ण बजट’ पेश करने पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, “यह वोट ऑन अकाउंट होना चाहिए, उनका जनादेश मई तक है। उसके स्थान पर, उन्होंने पूरे वर्ष के लिए बजट पेश कर दिया।”
उन्होंने 5 लाख तक कर में छूट देने के निर्णय को लेकर खड़गे ने कहा, “यह लोकसभा चुनावों से पहले मध्यवर्ग को लुभाने की कोशिश है। यह कोई गेम चेंजर नहीं है क्योंकि लोग जानते हैं कि सरकार ने क्या किया है और बीते 5 सालों में इसने कैसा प्रदर्शन किया है।” उन्होंने मनरेगा के लिए बजटीय आवंटन में अपेक्षा के अनुसार बढ़ोतरी नहीं होने पर कहा, “गरीबों, किसानों एससी और एसटी के लिए इसमें कुछ नहीं है। बीजेपी सरकार महसूस करती हैं कि वे बजट के जरिए किसानों से मत पाएंगे लेकिन लोगों को पता है कि उनके साथ ठगी की गई है।”
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वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने प्रेस कांफ्रेंस कर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “किसानों को 500 रुपये महीना देने का ऐलान करने के बाद मोदी सरकार इसे किसानों के लिए बड़ी राहत बता रही है लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार के इस ऐलान से किसानों को हर रोज करीब 17 रुपये मिलेगा। इससे किसानों का क्या होगा? उन्होंने कहा कि मोदी जी एक किसान को आधा कप चाय की कीमत के बराबर राहत देकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, देश के किसान के साथ इससे क्रूर मजाक नहीं हो सकता।”
उन्होंने आगे कहा, “पिछले 45 सालों देश में बेरोजगारी दर उच्चतम स्तर पर है। लेकिन सरकार नौकरियों को लेकर इस बजट में एक शब्द नहीं कहा। इस सरकार ने शिक्षा को लेकर भी कोई ऐलान नहीं किया। सरकार ने देश के युवाओं और लोगों को इस बजट के जरिए धोखा दिया है।”
उन्होंने कहा, “अगर सरकार को अपनी वापसी का विश्वास होता तो वह ऐसा नहीं करती। यह स्पष्ट है कि सरकार को अपनी वापसी का कोई भरोसा नहीं है। ऐसे में उसने घबराहट में आकर और संविधान का उल्लंघन करते हुए कदम उठाया।” चिदंबरम ने कहा, “मोदी सरकार ने वित्तीय स्थिरिता को कमजोर करने का काम किया है। यह सरकार लगातार दूसरे वर्ष वित्तीय घाटे से जुड़े लक्ष्य को पूरा करने में विफल रही है।”
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वहीं कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “अंतरिम वित्त मंत्री का अंतरिम बजट ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ जैसा साबित हुआ। मतलब वादे अनेक, काम नहीं एक। 4 एकड़ भूमि के किसान से 6000 रुपए का वादा तो किया, लेकिन मोदी सरकार ने डीजल, खाद, बीज, कीटनाशक की कीमतें बढ़ाकर और कृषि उपकरणों पर जीएसटी लगाकर 4 एकड़ भूमि के स्वामित्व वाले किसान पर पहले से ही लगभग 24000 रुपए तक का बोझ डाल रखा। इस तरह 4 एकड़ भूमि वाले किसान से मोदी सरकार 24000 रुपए वसूलकर 6000 रुपए दे रही है। मतलब किसान से 18000 रुपए तो फिर भी वसूले जा रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “मोदी जी ने रक्षा बजट पर अपनी पीठ तो थपथपा ली लेकिन, ये नहीं बताया कि वृद्धि मात्र 15000 करोड़ रुपए की है। क्योंकि, रक्षा बजट पहले से ही 2.85 लाख करोड़ रुपए है, जिसे बढ़ाकर 3 लाख करोड़ किया है।”
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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