कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी पुरी बुच के मामले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रतिक्रिया के बाद मंगलवार को कहा कि सेबी प्रमुख और उनके पति के वित्तीय लेन-देन को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं, अब तक उनका किसी ने खंडन नहीं किया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि क्या वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 2022 से ही इन तथ्यों की जानकारी थी?
वित्त मंत्री ने सोमवार को कहा था कि सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच अपना बचाव कर रहे हैं और ऐसे तथ्य सामने रख रहे हैं जो कांग्रेस के आरोपों के विपरीत हैं।
माधवी पुरी बुच और धवल बुच ने अनियमितता बरतने और हितों के टकराव को लेकर कांग्रेस की तरफ से लगाए गए आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि ये आरोप ‘‘झूठे और साख बिगाड़ने’’ की कोशिश हैं।
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जयराम रमेश ने मंगलवार को ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘सेबी प्रमुख के व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के मुद्दे पर वित्त मंत्री ने आखिरकार केंद्र सरकार की चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा है कि सेबी प्रमुख और श्री बुच ‘हितों के टकराव के आरोपों पर जवाब दे रहे हैं’ लेकिन ये जवाब और भी सवाल खड़े करते हैं। सेबी प्रमुख और उनके पति के वित्तीय लेन-देन को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं, अब तक उनका किसी ने खंडन नहीं किया है।’’
उन्होंने कहा कि अब सवाल यह है कि क्या वित्त मंत्री और "नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री" को कम से कम 2022 से ही इन तथ्यों की जानकारी थी।
रमेश ने सवाल किया, "क्या वे वास्तव में सोचते हैं कि ये तथ्य बहुत हल्के हैं और किसी भी तरह से पूंजी बाजार नियामक की कार्यप्रणाली से समझौता नहीं करते हैं? क्या अदाणी समूह की उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्देशित सेबी जांच वास्तव में सही, निष्पक्ष और पूरी हुई है?
उन्होंने कहा, "इस मामले का अभी अंत नहीं हुआ है और भी बहुत कुछ कहने को है!"
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