बीजेपी गुजरात मॉडल की चर्चा पूरे देश में करती है, लेकिन यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था की हाल ऐसा है कि लोग झोला छाप डॉक्टर से इलाज कराने को मजबूर हैं! ऐसे डॉक्टरों से इलाज करना मौत को बुलावा देने से कम नहीं है। कुछ तो कई सालों से बेखौफ बिना किसी डिग्री के लोगों को इलाज कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला वडोदरा में सामने आया है। यहां दो दशकों से बिना औपचारिक चिकित्सा शिक्षा के प्रैक्टिस कर रहे एक झोलाछाप डॉक्टर पकड़ा गया है।
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असीम कुमार संखरी वडोदरा के रायपुर गांव में बिना लाइसेंस लोगों का इलाज कर रहे थे। सोमवार को अधिकारियों को इस बात की सूचना मिली। मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले संखरी के पास कोई औपचारिक चिकित्सा शिक्षा नहीं है, लेकिन वह वर्षों से अनगिनत मरीजों को धोखा देते हुए अपना खुद का क्लिनिक खोलने और चलाने में कामयाब रहे।
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गुप्त सूचना मिलने पर पुलिस ने संखरी को गिरफ्तार कर लिया और उसके क्लिनिक से दवाएं और नकदी जब्त कर ली। ऐसा माना जाता है कि यह धनराशि उन बेखबर मरीजों से जमा हुई थी, जिन्होंने अपने स्वास्थ्य के मामले में उन पर भरोसा किया था।
इस रहस्योद्घाटन ने जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को चिंतित कर दिया है। जिससे अब क्षेत्र में संचालित क्लीनिकों की साख की गहन समीक्षा की जा रही है। मामले की अभी जांच चल रही है।
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वडोदरा ग्रामीण एसओजी ने चिकित्सकों की योग्यताओं को सत्यापित करने के लिए गहन जांच की। इससे पहले 2021 में डॉ. एस.एस. साहब और डॉ. एस. बिस्वास को दाभोई में बिना वैध डिग्री के चिकित्सा अभ्यास करते हुए पाया गया था।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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