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शिक्षकों, सीटों और रोजगार की कमी के कारण देश में पनप रहे कोचिंग सेंटर, कानून लाए सरकारः कांग्रेस

सुरजेवाला ने कहा कि बच्चों को लेकर मां-बाप की इच्छाएं, बच्चों को आगे बढ़ाने की ललक, मेडिकल, आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों में सीमित सीटें और रोजगार की कमी के कारण ही पिछले कुछ सालों में देश भर के अंदर कोचिंग सेंटर बड़ी संख्या में पनपे हैं।

शिक्षकों, सीटों और रोजगार की कमी के कारण देश में पनप रहे कोचिंग सेंटरः कांग्रेस
शिक्षकों, सीटों और रोजगार की कमी के कारण देश में पनप रहे कोचिंग सेंटरः कांग्रेस  फोटोः IANS

दिल्ली के राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर में हुए हादसे में 3 छात्रों की मौत के मामले को आज राज्यसभा में उठाते हुए कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि शिक्षकों, संस्थानों में सीटों और रोजगार की कमी के कारण देश में कोचिंग सेंटर्स पनप रहे हैं। सुरजेवाला ने कहा कि स्कूलों और विश्वविद्यालयों में लाखों शिक्षकों की कमी है, जिसके कारण कोचिंग सेंटर्स पनप रहे हैं।

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सुरजेवाला ने कोचिंग सेंटर्स के पनपने के चार कारण गिनाए। उन्होंने कहा कि बच्चों को लेकर मां-बाप की इच्छाएं, दूसरा बच्चों को आगे बढ़ाने की ललक, मेडिकल, आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों में सीमित सीटें और रोजगार की कमी। जब यह चारों कारण मिल जाते हैं तो फिर कोचिंग सेंटर की जरूरत उत्पन्न होती है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में देश भर के अंदर कोचिंग सेंटर बड़ी संख्या में पनपे हैं।

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उन्होंने एक सर्वे रिपोर्ट का हवाला देकर बताया कि देश में वर्ष 2028 तक कोचिंग इंडस्ट्री 1,38,000 करोड़ रुपये का व्यवसाय बन जाएगी। बीते 10 साल में शिक्षा का व्यवसायीकरण और निजीकरण किया गया है। उन्होंने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए सदन में कहा कि वर्ष 2014-15 में देश भर में 11,07,118 सरकारी स्कूल थे। वर्ष 2021-22 तक के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि सरकारी स्कूल बढ़ने की बजाय कम हो गए, उनकी संख्या 10,20,386 रह गई। गवर्नमेंट सहायता प्राप्त स्कूलों की संख्या 2014-15 में 83,402 थी, वह भी कम होकर 82,480 रह गए हैं। यानी करीब 87,000 स्कूल बंद हो गए।

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उन्होंने कहा कि क्या यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। क्यों कोचिंग इंस्टीट्यूट बढ़ रहे हैं और सरकारी स्कूलों की संख्या कम हो रही है? उन्होंने यह भी कहा कि इसी दौरान प्राइवेट स्कूलों की संख्या बढ़ी है। शिक्षा की नींव पर हमला बोला जा रहा है। संसद की समिति ने बताया है कि देश के सरकारी स्कूलों में पिछले 8 से 9 सालों में 10 लाख अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं। ऐसे में बच्चे पढ़ने कोचिंग इंस्टीट्यूट में नहीं जाएंगे तो कहां जाएंगे? यही कारण है कि छात्र, मां-बाप की मेहनत से कमाया हुआ पैसा खर्च करके कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ने को मजबूर हैं।

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उन्होंने बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 33 प्रतिशत पोस्ट खाली हैं। आईआईटी में 41 प्रतिशत पोस्ट खाली हैं। आईआईएम जैसे संस्थानों में 32 प्रतिशत पद रिक्त हैं। बजट में शिक्षा को काफी कम रकम आवंटित की गई है। बीते 10 वर्षों में 70 पेपर लीक हुए हैं। नीट परीक्षा का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि 24 लाख बच्चों ने इसके लिए एक साल तक तैयारी की। वहीं, हरियाणा के एक केंद्र में कई छात्र पूरे में से पूरे नंबर ले आए। कुछ ऐसा ही देश के अन्य परीक्षा केंद्रों पर भी हुआ। कोचिंग इंस्टीट्यूट रेगुलेट क्यों नहीं किया जा सकता। उन्होंने सरकार से पूछा कि वे शिक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए क्या कर रहे हैं? फीस, सुरक्षा और शिक्षा की कंडीशन पर कानून बनाया जाए।

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