उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख सचिव शशि प्रकाश गोयल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में गोयल को क्लीन चिट देते हुए उनके फैसले को सही करार दिया है।
राज्य सरकार की ओर से शुक्रवार देर रात मुख्य सचिव के इस फैसले की जानकारी दी गई।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि राज्यपाल राम नाईक ने एक शिकायती पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा था, जिसमें उन्होंने हरदोई के व्यापारी अभिषेक गुप्ता द्वारा प्रमुख सचिव पर 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप की जांच कराने की बात कही थी।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस पत्र का संज्ञान लेकर मुख्य सचिव से इस मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी थी। प्रवक्ता ने यह भी बताया कि आरोप लगाने वाले अभिषेक गुप्ता के जमीन के परिवर्तन का मामला निरस्त होना जांच में सही पाया गया है। जिसका मतलब मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव का फैसला अपनी जगह सही है।
प्रवक्ता ने बताया, “मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट में तकनीकी पहलुओं की भी जानकारी दी है। जिसमें कहा गया है कि लखनऊ-हरदोई मार्ग पर हरदोई के रैसो गांव की भूमि गाटा संख्या 184 के भूमि के मालिक अभिषेक गुप्ता हैं। अपनी भूमि का विनिमय ग्राम समाज के रास्ते की भूमि गाटा संख्या 187 से करने के लिए अभिषेक गुप्ता ने प्रार्थना पत्र दिया था।”
उन्होंने बताया कि कानूनी और तकनीकी दोनों ही परीक्षण में अभिषेक गुप्ता की जमीन परवर्तित योग्य नहीं पाई गई। इसलिए प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री ने उनके प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया।
प्रवक्ता के मुताबिक मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव का फैसला सही है और अभिषेक गुप्ता के रिश्वत मांगने के आरोप गलत पाए गए हैं। उसने यह शिकायत केवल दबाव बनाने के लिए की थी।
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इस मामले में प्रमुख सचिव पर घूस मांगने का आरोप लगाने वाले अभिषेक गुप्ता के खिलाफ 7 जून की रात को लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद 8 जून को लखनऊ पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया था। अभिषेक गुप्ता के खिलाफ बीजेपी नेता भारत दीक्षित ने लखनऊ पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें अभिषेक गुप्ता पर पार्टी के नाम का उपयोग करने और छवि खराब करने जैसे आरोप लगाए गए थे।
(आईएनएस के इनपुट के साथ)
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