नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा में भले ही मंजूरी मिल गई हो, लेकिन असली परीक्षा राज्य सभा में होनी है। बुधवार को ये बिल राज्यसभा में आ सकता है। इस बीच गृह मंत्री के लोकसभा में दिए गए उस बयान पर बवाल मच गया है जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर धर्म के आधार पर देश का बंटवारा करने का आरोप लगाया था। इस बयान को लेकर संसद में अमित शाह को तीखी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ी थी और अब संसद के बाहर इतिहासकारों ने अमित शाह को उनके बयान को लेकर आड़े हाथों लिया है।
Published: 10 Dec 2019, 12:00 PM IST
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट कर 1943 में सावरकर के हवाले से कहा, “जिन्ना के दो-राष्ट्र सिद्धांत के साथ मेरा कोई झगड़ा नहीं है। हम हिंदू अपने आप में एक राष्ट्र हैं और यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुसलमान दो राष्ट्र हैं।”
Published: 10 Dec 2019, 12:00 PM IST
इससे पहले लालकृष्ण आडवाणी के नजदीकी माने जाने वाले इतिहासकार सुधींद्र कुलकर्णी ने अमित शाह के बयान को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि संसद के इतिहास में शायद ही कभी हमने किसी वरिष्ठ मंत्री को एक काले कानून का बचाव करने के लिए इस तरह से सफेद झूठ बोलते देखा गया हो।
Published: 10 Dec 2019, 12:00 PM IST
उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, “कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं किया। लेकिन अमित शाह ने न केवल स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को गलत बताया है, बल्कि अपने सबसे बड़े और सबसे सम्मानित नेताओं का भी अपमान किया है, जिनमें महात्मा गांधी, नेहरू, पटेल, आजाद हैं।
Published: 10 Dec 2019, 12:00 PM IST
उन्होंने आगे कहा, “अब इनको इतिहास का पाठ कौन पढ़ायेगा की कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं किया? एक सफेद झूठ का सहारा लेकर सरकार नागरिकता बिल को पास करने जा रही है।” उन्होंने आगे कहा कि भारत को धर्म के आधार पर विभाजित करने के लिए समाज को दोषी ठहराते हुए (गलत तरीके से) अमित शाह अपने स्वयं के पूर्ववर्ती सरदार पटेल को भी दोषी ठहरा रहे हैं?
Published: 10 Dec 2019, 12:00 PM IST
लोकसभा में मनीष तिवारी ने अमित शाह को बताया था कि टू नेशन थ्योरी सावरकर ने दी थी। उन्होंने आगे कहा था, ‘पहली बार अहमदाबाद में 1935 में वीर सावरकर ने द्विराष्ट्र का सिद्धांत दिया था। हिंदू महासभा के अधिवेशन में उन्होंने यह बात कही थी। सरकार जानती है कि यह कानून क्यों लाया जा रहा है, हम जानते हैं कि यह कानून क्यों लाया जा रहा है, जनता जानती है कि यह कानून क्यों लाया जा रहा है।”
एक अंग्रेजी अखबार ने संघ परिवार के आराध्य विनायक दामोदर सावरकर के 1923 के लिखे निबंध हिंदुत्व का हवाला देकर बताया है कि सावरकर ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना से भी काफी पहले द्विराष्ट्र सिद्धांत की पैरवी की थी। यह निबंध जिन्ना की ओर से यह विचार पेश करने से 16 साल पहले प्रकाशित हुआ था।
Published: 10 Dec 2019, 12:00 PM IST
दूसरी ओर नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास होने पर अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संघीय अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने विधेयक को गलत दिशा में बढाया गया कदम बताया है। उसने कहा कि अगर भारत के संसद में बिल पास होता है तो अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंध लगाना चाहिए। वही, यूएससीआईआरएफ ने विधेयक पास होने पर गहरी चिंता व्यक्त किया है।
यूएससीआईआरएफ ने कहा अगर कैब दोनों सदनों में पारित हो जाता है तो अमेरिकी सरकार को गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए
बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है।
Published: 10 Dec 2019, 12:00 PM IST
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Published: 10 Dec 2019, 12:00 PM IST