देश की सर्वोच्च औद्योगिक संस्था कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यानी सीआईआई ने देश में कोरोनोवायरस के कारण प्रभावित उद्योग जगत में मांग बढ़ाने और इस संकट के समय में लोगों की मदद के लिए मोदी सरकार से 2 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की मांग की है। सीआईआई ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे एक नोट में कहा है कि “इस भयावह दौर में मांग बढ़ाने के लिए लोगों के हाथ में पैसा देने की जरूरत है, इसके लिए सरकार आधार से जुड़े लोगों को सीधे बैंक ट्रांसफर के जरिए मदद पहुंचाए। इसमें सरकार को जीडीपी का एक फीसदी जो करीब 2 लाख करोड़ रुपए होता है उसकी घोषणा करनी चाहिए।“ इस नोट को कोविड-19 और इसका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव नाम दिया गया है।
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सीआईआई ने कहा है कि चूंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों में कमजोरी आई है, ऐसे में सरकार के पास इस पैसे का इंतजाम करने की गुंजाइश है। नोट के मुताबिक, "तेल की कीमत में हर 10 डॉलर की गिरावट के साथ तेल आयात पर होने वाले खर्च में 15 अरब डॉलर की बचत होती है।"
उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने के लिए अस्थायी तरीके का सुझाव देते हुए सीआईआई ने कहा है कि जिन लोगों की सालाना आमदनी 5 लाख रुपए से कम है, उन्हें सरकार 5000 रुपए की मदद दे सकती है। सीआईआई के मुताबिक, "यह मदद 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों की दी जा सकती है और 60 से ऊपर के कमजोर लोगों के लिए यह रकम 10,000 रुपये तक बढ़ाई जा सकती है।
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नोट में कहा गया है कि 2 लाख करोड़ रुपये के बजट के साथ, 20 करोड़ लोगों को 10,000 रुपये या प्रत्येक 40 करोड़ लोगों को 5,000 रुपये के डायरेक्ट ट्रांसफर से मदद दी जा सकती है। उद्योग मंडल ने कहा कि विभिन्न श्रेणियों में मजदूरों के आंकड़ों से पता चलता है कि अभी भारत में लगभग 20 करोड़ कैजुअल मजदूर कार्यरत हैं और सरकार के राजकोषीय संसाधनों से उन्हें निश्चित रूप से मदद दी जा सकती है।
सीआईआई ने भारतीय खाद्य निगम के साथ उपलब्ध खाद्य स्टॉक का उपयोग करके गरीबी रेखा से नीचे के लोगों और दिहाड़ी मजदूरों को देने का सुझाव भी दिया है। साथ ही लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर यानी एलटीसीजी में 10 फीसदी की कर-संबंधी राहत और डिविडेंड पर कुल टैक्स दर को 25 प्रतिशत पर रखने की मांग की।
उद्योग द्वारा सुझाए गए अन्य राहत उपायों में सरकार पर बाकी निजी क्षेत्र के भुगतान करने, नागरिक उड्डयन, होटल, एसएमई, रियल एस्टेट और वाणिज्यिक बुनियादी ढाँचे जैसे अधिकांश प्रभावित क्षेत्रों के लिए करों में छूट और एक वित्तीय वर्ष में आयकर अधिनियम के तहत एनआरआई यानी अनिवासी भारतीयों और ओसीआई की पात्रता पर नियमों को स्थगित करनने की मांग शामिल है।
इसके साथ ही सीआईआई ने रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कम से कम आधे फीसदी की कटौती करने की भी मांग उठाई है और एनपीए की परिभाषा बदलकर उसे 90 दिन के बजाए 180 दिन करने का सुझाव दिया है।
गौरतलब है कि दुनिया के अधिकांश कोरोना प्रभावित देशों ने राहत पैकेज का ऐलान कर दिया है, लेकिन भारत ने अभी तक ऐसी कोई पहल नहीं की है। अकेले अमेरिका ने ही एक खरब डॉलर की राहत का ऐलान किया है ताकि कोविड-19 से होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई की जा सके। वहीं यूके, स्विटजरलैंड, चीन, स्वीडनस ऑस्ट्रिया और जापान ने भी वित्तीय राहत का ऐलान किया है ताकि स्थानीय और छोटे कारोबारों को राहत मिल सके।
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