बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की अब तक हुई जांच से यह बात सामने आ रही है कि पूरे षडयंत्र की जड़ में मुख्य वजह 'ब्लैकमेलिंग-वसूली' रही है। एसआईटी को अब सिर्फ यह साबित करना है कि इनमें पीड़ित और मुलजिम कौन है? इस साजिश की तह तक जाने पर सवाल उठे हैं कि क्या स्वामी से मोटी रकम वसूले जाने के बाद लड़की को ठिकाने लगाने का षडयंत्र भी रचा गया था? लेकिन थाने में स्वामी चिन्मयानंद द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर ने मगर पूरे षडयंत्र को तहस-नहस कर दिया।
Published: 13 Sep 2019, 7:29 PM IST
यूपी पुलिस के एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर स्वीकारा, “कोई बड़ी बात नहीं कि इस मामले में किसी एक मुकाम पर दोनों ही पक्ष पीड़ित और दोनों ही पक्ष मुलजिम के रूप में सामने आकर खड़े हो जाएं। ऐसे में सबसे बड़ी मुश्किल खड़ी होगी एसआईटी के सामने उस समय में एसआईटी के लिए मददगार साबित होगी, जांच की निगरानी के लिए गठित इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय विशेष पीठ।”
मामले की जांच एसआईटी के हवाले होने से पहले, पड़ताल से जुड़े एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर जो कुछ बताया, उससे लगता है ये पूरा मामला ब्लैकमेलिंग और वसूली से जुड़ा हुआ है। ब्लैकमेल कौन किसको कर रहा था? इसका जवाब तलाशने में ही जुटी है एसआईटी।
Published: 13 Sep 2019, 7:29 PM IST
स्वामी चिन्मयानंद पक्ष द्वारा 25 अगस्त को दर्ज कराई गई एफआईआर को कोरा कागज भर नहीं माना जा सकता। इसी एफआईआर में चिन्मयानंद ने आरोप लगाया कि उनकी आपत्तिजनक वीडियो और तस्वीरों के बलबूते उनसे कुछ लोग 5 करोड़ की वसूली करना चाहते हैं। अतीत में झांक कर देखा जाए तो, स्वामी की इस एफआईआर से पहले कहीं कोई बवाल नहीं शुरू होता है। इसके दो दिन बाद ही यानी 27 अगस्त को लड़की का पिता एक और एफआईआर दर्ज करवाता है। इस एफआईआर में लड़की के गायब हो जाने की और स्वामी चिन्मयानंद से जान के खतरे का मजमून दर्ज करवाया जाता है।
रहस्यमय तरीके से गायब लड़की, बाद में जिस नाटकीय तरीके से एक वीडियो (फेसबुक पर अपलोड) के जरिए खुद के सुरक्षित होने का सबूत पेश करती है, वह पूरे मामले को पलट देता है। इससे तय होता है कि लड़की स्वामी के चंगुल में नहीं थी।
Published: 13 Sep 2019, 7:29 PM IST
पूरे घटनाक्रम में हैरतंगेज मोड़ तब आता है जब, गायब लड़की संजय नाम के किसी अपने भाई के साथ दौसा (राजस्थान) में, शाहजहांपुर की पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) अपर्णा गौतम के हाथ सकुशल लग जाती है। मतलब साफ हो जाता है कि लड़की स्वामी की गिरफ्त से कोसों दूर थी, जबकि उसकी बरामदगी से पहले तक हर किसी की नजर में चिन्मयानंद खटक रहे थे।
सवाल यह है कि चिन्मयानंद ने जैसे ही पांच करोड़ की वसूली की एफआईआर दर्ज कराई वैसे ही आखिर, लड़की और उसका कथित भाई संजय क्यों और कैसे अचानक गायब हो गए? पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अब तक जो कुछ एसआईटी के सामने आया है, उसके नजरिये से ब्लैकमेलिंग-वसूली के इस मामले में कौन किस पर भारी पड़ रहा था? यह सवाल बाद का है। यह तय है कि, जिस तरीके से अब तक की जांच की कड़ियां जुड़-निकल कर सामने आ रही हैं। उससे संदेह पैदा होता है कि ब्लैकमेलिंग और वसूली के इस घिनौने खेल में, कहीं लड़की महज मोहरा भर तो नहीं थी।
Published: 13 Sep 2019, 7:29 PM IST
कहीं ऐसा तो नहीं था कि आपत्तिजनक वीडियो के बलबूते एक तरफ स्वामी से मोटी रकम वसूल ली जाती और उसके बाद मोहरा बनी (फिलहाल पीड़िता) कानून की छात्रा को खतरनाक षडयंत्र के तहत यूपी से दूर राजस्थान के दौसा या उसके आसपास (जहां छात्रा यूपी पुलिस को एक लड़के के साथ होटल में मिली) इलाके में कथित रूप से ठिकाने लगा दिया जाता।
Published: 13 Sep 2019, 7:29 PM IST
जब स्वामी चिन्मयानंद से मोटी रकम मिल ही जाती तो फिर, लड़की को आखिर नुकसान क्यों पहुंचाया जाता? जैसे सवाल के जवाब में यूपी पुलिस में उप-महानिरीक्षक स्तर के एक आला-अफसर का तर्क है, “करोड़ों रुपये की वसूली से बौखलाये स्वामी चिन्मयानंद कहीं लड़की के करीब पहुंचकर पूरे मामले का भंडाफोड़ न कर दें। पहली तो यह शंका रही होगी। दूसरी वजह, स्वामी से रुपये झटकने के बाद, लड़की ही कहीं कोई तमाशा या बवाल न खड़ा कर दे।”
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Published: 13 Sep 2019, 7:29 PM IST
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Published: 13 Sep 2019, 7:29 PM IST