भारत के साथ लगने वाले वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में लगा हुआ है। इस बीच मीडिया में सूत्रों के हवाले आई खबरों के अनुसार साल 2017 के डोकलाम संकट के बाद से चीन ने अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक एलएसी से लगे गहराई वाले इलाकों में अपने कई सैन्य शिविर स्थापित कर लिए हैं।
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खबरों के अनुसार एक सरकारी सूत्र ने मंगलवार को बताया कि चीन डोकलाम विवाद के बाद से ही एलएसी से लगे निचले क्षेत्रों में सैन्य शिविर बनाने में लगा हुआ है। सूत्र के अनुसार स्थानीय नागरिकों ने एलएसी के पास ऐसे 20 से अधिक सैन्य शिविर देखे हैं। इन शिविरों से चीनी सेना को काफी फायदा होगा। वह एलएसी से लगे अपने क्षेत्रों में सघन और बेहतर गश्त कर सकेगी और साथ ही सीमा पर तनाव होने पर उसे सेना की तैनाती और मुवमेंट में आसानी होगी।
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बता दें कि साल 2017 में भारत ने भूटान के इलाके में चीनी सेना द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य को रोक दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव हो गया था और डोकलाम में दोनों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। दरअसल चीन उस निर्माण से भारत के रणनीतिक रूप से बेहद अहम उस हिस्से के करीब आ जाता, जिसे चिकन नेक कहा जाता है। यह वह क्षेत्र है, जो भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को देश के प्रमुख इलाके से जोड़ता है। अगर इस क्षेत्र पर चीन का कब्जा हो जाएगा तो भारत का उत्तर-पूर्व से जमीनी संपर्क टूट जाएगा।
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गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच अप्रैल-मई से ही पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। इस तनाव की वजह से ही जून में हुए झड़प में भारत के कई सैनिकों की शहादत हो चुकी है। उसके बाद से इस कड़ाके की सर्दी में भी 18 हजार फीट की ऊंचाई पर दोनों देशों की सेनाएं बड़ी संख्या में आमने-सामने डटी हुई हैं। चीन की हरकतों को देखते हुए 50 हजार से अधिक भारतीय सैनिक दुर्गम स्थानों पर चीन के सामने मजबूती से खड़े हैं।
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