चीन भारत से अपने चावल के आयात को बढ़ाने के लिए तैयार है। बीजिंग इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच पहले ही भारत से 4.76 लाख टन 100 प्रतिशत टूटा हुआ चावल (ब्रोकन राइस) का आयात कर चुका है। चालू वित्त वर्ष के दौरान चीन को होने वाला भारत का कुल चावल निर्यात 10 लाख टन से अधिक हो सकता है।
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आकंड़ों पर गौर करें तो अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अनुसार, 2018-19 में भारत ने 951 टन का निर्यात किया, लेकिन 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 33,1571 टन हो गया।
चीन में भारी बाढ़ से खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित हुआ है। पिछले साल और इस साल भी भारी बारिश और बाढ़ के कारण फसलों का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है।
एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक विनोद कौल ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि भारत, जो अगले महीने चावल की फसल की अवधि में होगा, निर्यात बढ़ाने के लिए तैयार है।
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कौल ने कहा, चीन, वियतनाम जैसे देशों को बहुत सारे टूटे हुए चावल की आवश्यकता होती है, जो न केवल मुख्य अनाज की श्रेणी है, बल्कि इसका व्यापक रूप से चावल की शराब और नूडल्स बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। अनाज पक्षियों को खिलाने के रूप में भी काम आता है। हालांकि ये देश अपने दम पर चावल का उत्पादन करते हैं, मगर उनकी आवश्यकताएं भी उतनी ही बड़ी हैं।
चीन के हेनान प्रांत - देश का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक - इस साल भीषण बाढ़ का गवाह बना है। इससे न केवल चावल बल्कि अन्य कृषि उत्पादों जैसे मक्का और शकरकंद की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। यह प्रांत देश के कुल चावल उत्पादन के दसवें हिस्से से अधिक का योगदान देता है।
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जबकि कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत का चावल निर्यात प्रभावित हो सकता है, वहीं कौल ने कहा कि अप्रैल से जून की अवधि के दौरान भारत के चावल के निर्यात में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 112 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि, निर्यात वृद्धि में कुछ मंदी आई है, लेकिन इसके बावजूद इस वित्तीय वर्ष के पहले चार महीनों में भारत से अनाज की आउटबाउंड शिपमेंट 74 प्रतिशत रही है।
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चीन के अलावा, बांग्लादेश और वियतनाम सहित कई अन्य देश भी भारत से चावल का आयात करते रहे हैं। वियतनाम ने भी इस अवधि के दौरान पहली बार भारत से 3.81 लाख टन टूटे चावल का आयात किया।
(यह आलेख इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है)
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