आम आदमी पार्टी के दो विधायकों की दिल्ली के मुख्य सचिव से की गई कथित हाथापाई के बाद घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। पार्टी के वे दोनों विधायक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं और इसी बीच 9 फरवरी की रात इस कथित घटना की सीसीटीवी हासिल करने के लिए दिल्ली पुलिस ने सीएम केजरीवाल के घर पर छापेमारी की है। तलाशी की इस कार्रवाई से नाराज केजरीवाल ने सीधे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधते हुए सवाल उठाया, “खूब पुलिस मेरे घर भेजी है। मेरे घर की छानबीन चल रही है। बहुत अच्छी बात है। पर जज लोया के कत्ल के मामले में अमित शाह से पूछताछ कब होगी?”
Published: 23 Feb 2018, 2:39 PM IST
उन्होंने आगे कहा, “दो थप्पड़ के आरोप की जांच के लिए सीएम के पूरे घर की तलाशी। जज लोया के कत्ल पर पूछताछ तो बनती है। नहीं?”
Published: 23 Feb 2018, 2:39 PM IST
लेकिन इस पूरी कार्रवाई और उस पर आई प्रतिक्रिया के बीच एक छोटी और अहम बात यह हुई है कि अरविंद केजरीवाल ने मंत्रीमंडल के साथ उप-राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगा है। उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। क्या अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने का मन बना लिया है? क्या वे इस्तीफा देने जा रहे हैं?
उप-राज्यपाल ने उन्हें मिलने के लिए आज शाम 5 बजे का समय दिया है।
Published: 23 Feb 2018, 2:39 PM IST
नवजीवन ने अपनी एक रिपोर्ट में आपको पहले बता चुका है कि नौकरशाही और दिल्ली सरकार के बीच हुए टकराव के बाद से केजरीवाल सरकार पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है। दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली में संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। ‘उप-राज्यपाल की रिपोर्ट बर्खास्तगी की अनुशंसा करने के लिए काफी है।’ बहुत संभव है कि केंद्र सरकार दिल्ली की सरकार को बर्खास्त करने राजनीतिक फैसला ले ले। नौकरशाही से भी इसके लिए काफी दबाव बन रहा है।
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निश्चित तौर पर इस छापेमारी ने मुख्यमंत्री के पद और गरिमा को कम किया है। 22 फरवरी को सीएम के सलाहकार वीके जैन ने अपने बयान में कहा था कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश विधायकों पर मारपीट का जो आरोप लगा रहे हैं वह सही है और वे उसके चश्मदीद गवाह हैं। इसने इस पूरे मामले में केजरीवाल का पलड़ा काफी झुका दिया है।
अब दिल्ली की राजनीति में सिर्फ तीन विकल्प हैं। सबसे बड़ी संभावना यह है कि बर्खास्तगी से बचने के लिए अरविंद केजरीवाल इस्तीफा देंगे और विधानसभा भंग कर 6 महीने के भीतर चुनाव को सुनिश्चित करें। वैसे भी चुनाव आयोग ने लाभ के पद पर रहने के आरोप में उनके 20 विधायकों की सदस्यता पहले ही रद्द कर दी है। 49 दिन की सरकार चलाने के बाद वे पहले भी एक बार इस्तीफा दे चुके हैं। और शहीद बनने का एक और मौका भी उन्हें मिलेगा।
दूसरी संभावना यह है कि केंद्र उप-राज्यपाल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार को बर्खास्त कर दे। बीजेपी को अपनी सार्वजनिक दुश्मनी निकालने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। इससे नौकरशाही को थोड़ा संतुष्ट किया जा सकता है।
और तीसरा विकल्प यह कि सबकुछ जैसे चल रहा है वैसे चलता रहेगा। लेकिन पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की राजनीति में जो कुछ हुआ है उससे यह तो तय है कि सबकुछ अब पहले की तरह नहीं रहने वाला है।
Published: 23 Feb 2018, 2:39 PM IST
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Published: 23 Feb 2018, 2:39 PM IST