वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि विकास की रट लगाई जा रही है और देश में विकास का हाल यह है कि दो साल में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी दर 8.2 फीसदी से घटकर 6.7 फीसदी हो गई। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के चार साल के कार्यकाल में जीडीपी दर सुस्त रही और बैंकों के फंसे हुए कर्ज यानी एनपीए 2,63,015 करोड़ रुपये से बढ़कर 10,30,000 करोड़ रुपये हो गए और बैंकिंग प्रणाली दिवालिया हो गई।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद जीडपी में गिरावट के बारे में उन्होंने जो अनुमान जाहिर किया था वही हुआ। चिदंबरम ने कई ट्वीट के जरिए कहा, "केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी किए गए आर्थिक आंकड़ों के बाद मीडिया में सिर्फ एक ही आंकड़ा 7.7 फीसदी आया।"
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उन्होंने कहा, "यह वित्तवर्ष 2017-18 का जीडीपी वृद्धि दर के रूप में निस्संदेह आकर्षक था, मगर वास्तव में यह चौथी तिमाही का आंकड़ा था, जबकि पूरे साल की जीडीपी वृद्धि दर सुस्ती के साथ 6.7 फीसदी रही।"
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चिदंबरम ने तंज कसा, "चार साल के अंत में सरकार वाकई साफ नीयत, सही विकास की राह पर चल पड़ी है।"
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उन्होंने कहा कि साख वृद्धि में भी भारी गिरावट आई है और यह 2017-18 में सुधार से पहले 13.8 फीसदी से घटकर 5.4 फीसदी हो गई। पिछले चार साल में सालना साख वृद्धि दर 5.6, 2.7,1.9 और 0.7 फीसदी रही। चिदंबरम ने कहा कि सरकार को पता है कि विकास नहीं हुआ इसीलिए 4 साल बाद उसने विकास के नारे को बदल दिया है।
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उन्होंने सरकार के नए नारे ‘साफ नीयत, सही विकास’ पर कहा कि 5 साल के शासन में से 4 साल सत्ता में रहने के बाद लोगों को सरकार की नीयत पर ज्ञान नहीं चाहिए और सरकार का आंकलन नीयत पर नहीं, बल्कि उसके द्वारा पूरे किए गए कामों से होता है।
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