सरकार बताए नौकरी की परिभाषा क्या है? चिदंबरम ने पूछे मोदी सरकार से 12 सवाल
पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी.चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से बारह सवालों के जवाब मांगे हैं। इनमें रोजगार की परिभाषा से लेकर सरकार के खर्च और आमदनी का हिसाब सब शामिल है।
By IANS
फाइल फोटे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम
पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से बारह सवालों के जवाब मांगे हैं। इनमें रोजगार की परिभाषा से लेकर सरकार के खर्च और आमदनी का हिसाब सब शामिल है।
पूर्व वित्र मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने वित्तीय समझदारी का परित्याग कर दिया है जिसके चलते अर्थव्यवस्था की हालत खराब है और राजकोषीय घाटे की स्थिति बेहद बिगड़ गई है। गुरुवार राज्यसभा में उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री ने 2014 के लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान दो करोड़ सालाना नौकरियां देने का वादा किया था, उसका क्या हुआ। साथ ही उन्होंने जानना चाहा कि सरकार ने पिछले चार साल में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन यानी आईएलओ के मानकों के अनुसार कितने लोगों को रोजगार दिया है? राज्यसभा में सत्तपक्ष द्वारा किए जा रहे शोरगुल के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने सरकार से 12 सवाल किए। ये हैं चिदंबरम के वो बारह सवाल:
आम बजट 2018-19 में राजकोषीय घाटा वित्तवर्ष 2017-18 के 3.2 फीसदी के मुकाबले 3.5 के खराब स्तर पर बताया गया है। चालू खाते का घाटा 2017-18 और 2018-19 में क्या है?
Published: 09 Feb 2018, 7:59 AM IST
वित्तवर्ष 2017-18 और 2018-19 का औसत थोक मूल्य सूचकांक यानी डब्ल्यूपीआई और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई कितना है?
Published: 09 Feb 2018, 7:59 AM IST
इसी तरह चिदंबरम ने कुल बारह सवाल पूछे हैं। ये रहे बाकी 10 सवाल:
वर्ष 2017-18 में कुल खर्च में तो 71,000 करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई, राजस्व खर्च में 1,07,371 करोड़ रुपये का इजाफा हो गया। क्या यह सरकार की फिजूलखर्ची का सूचक नहीं है, जिसमें वित्तीय समझदारी का परित्याग किया गया है?
सत्ता में आने से पहले आपने दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। आईएलओ के अनुसार सही मायने में नौकरी ऐसा रोजगार है जिसमें निश्चिता, नियमितता और सुरक्षा हो। आपने नौकरी की क्या परिभाषा गढ़ी है?
आईएलओ के मानकों के मुताबिक आपकी चार साल की सरकार में कितनी नौकरियां पैदा हुईं?
कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने से भारत के बजट आकलन पर क्या असर होगा खासतौर से घाटे पर कितना असर होगा? कच्चे तेल की कीमत बढ़कर 70 या 75 डॉलर प्रति बैरल हो जाती है तो क्या आप पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाएंगे या पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती करेंगे?
सरकार वित्त वर्ष 2017-18 में 48,000 करोड़ रुपये उधारी लेगी और इसमें ओएनजीसी की 37,000 करोड़ रुपये की उधारी भी जुड़ जाएगी, जो सरकार के नाम पर ली गई है। यह 85,000 करोड़ रुपये की रकम कहां जाएगी?
वित्तवर्ष 2017-18 में पूंजीगत व्यय 3,09,801 करोड़ रुपये का था, जिसे संशोधन के बाद 36,000 करोड़ घटाकर 2,73,445 करोड़ रुपये कर दिया गया। इससे किन योजनाओं पर असर पड़ा?
सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में मौद्रिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 11.5 फीसदी रहने का आकलन किया है, लेकिन क्या अतिरिक्त एक फीसदी ऊंची महंगाई दर या उच्च विकास दर के कारण थी?
वित्तवर्ष 2018-19 में आपका वास्तविक जीडीपी विकास का आकलन क्या है?
क्या ब्याज दर सभी ऋण पत्रों से ज्यादा हो जाएगी और क्या व्याज दरों में बढ़ोतरी मंहगाई बढ़ाने में सहायक होगी?
क्या वर्ष 2017-18 में जीएसटी से राजस्व संग्रह का 4,44,631 करोड़ रुपये का अनुमान पिछले आठ महीने का है या नौ महीने का या 11 महीने का?