गौरतलब है कि इसी राजनांदगाव लोकसभा सीट से मुख्यमंत्री के बेटे सांसद हैं। इसके अलावा बस्तर की जिन सीटों को हाइप्रोफाईल कहा जा सकता है, उसमें अन्तागढ़ सीट है, जहां से बीजेपी ने सांसद विक्रम उसेंडी को मैदान में उतारा है। यह वही सीट है जो अजीत जोगी के कांग्रेस से बाहर जाने का कारण बनी और तीसरी पार्टी का उदय हो गया है।
अंतागढ़ के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ने जोगी के कहने पर आखिरी वक्त में नाम वापस ले लिया था। इस मामले की एक ऑडियो सीडी सामने आई थी, जिससे पता चला था कि बीजेपी से मिलकर किए गए इस खेल में अजीत जोगी ही मध्यस्थता कर रहे थे। इन 18 सीटों में खैरागढ एक ऐसी सीट है जहां मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।यहां से राजघराने के देवव्रत सिंह, जोगी की पार्टी के उम्मीदवार हैं। बस्तर की कोन्टा सीट पर माओवाद का प्रभाव है, यहां से सीपीआई के मनीष कुन्जाम और कांग्रेस से दो बार के विधायक कवासी लकमा और बीजेपी से धनीराम बारसे हैं। सीपीआई के मनीष कुंजाम वही शख्स हैं जिन्होंने कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन को नक्सलियों के चंगुल से छुड़ाने में सरकार की मदद की थी।
दंतेवाड़ा सीट से नक्सल हमले में मारे गए महेन्द्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा दूसरी बार मैदान में हैं। उनके सामने बीजेपी के पूर्व विधायक भीमा मंडावी हैं। इसी जिले में नक्सली लगातार हमले कर रहे हैं। पहले दूरदर्शन की टीम पर नक्सली हमला हुआ जिसमें एक वीडियो पत्रकार की मौत हुई थी। इसके अलावा शुक्रवार को एक बस को उड़ा दिया गया, जिसमें पांच लोगों की मौत हुई।
एक और महत्वपूर्ण सीट के रूप में भानुप्रतापपुर को लिया जा सकता हैं। यहां से बीजेपी और कांग्रेस के अलावा अलावा जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी कोमल हुपेंडी भी मैदान चुनाव में हैं।
गौरतलब है कि 2013 में बस्तर से कांग्रेस को 8 सीटें मिली थीं और राजनांदगाव की 6 में से 4 सीटें मिली थीं। हाईप्रफाईल सीट राजनांदगांव में शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का रोड शो हुआ था जिसमें जबरदस्त जनसैलाब उमड़ा था। राजनांदगाव में ही राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओ के साथ जन घोषणपत्र भी जारी किया था।
इस बीच दोनों ही राजनीकि दलों ने अपने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं। कांग्रेस के घोषणा पत्र की खासियत यह है कि इसमें किसानों को दिए जाने वाले धान के बोनस में वह वादा भी शामिल है जो बीजेपी ने किया था। वही बीजेपी ने आने वाले पांच साल में समृद्ध छत्तीसगढ़ की परिकल्पना सामने रखी है। बीजेपी ने भी किसानों और गांव गरीबों के लिए अनेकानेक घोषणा की हैं।
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दरअसल इन 18 सीटों में से 12 एसटी की सीटें हैं। वैसे तो कांग्रेस पूरे आदिवासी समाज के लिए पांचवीं और छटवीं अनुसूची की बात कर रही हैं, लेकिन बस्तर का आदिवासी इस बात को लेकर डरा हुआ है कि सरकारें आदिवासियों की जमीन को लेकर गंभीर नही हैं इसलिए सोच समझकर फैसला करना है।
गौरतलब है कि मौजूदा सरकार ने विधानसभा में एक विधेयक लाकर जमीन अधिग्रहण का कानून राज्य के स्तर पर बना दिया था, लेकिन समग्र आदिवासी समाज के विरोध के चलते सरकार को वापस लेना पड़ा। कुछ इसी तरह का डर आदिवासियों को सता रहा हैं।
पहले चरण के चुनाव में बीजेपी के सामने अपनी सीटें बचाए रखने की चुनौती है, जबकि कांग्रेस आश्वस्त है कि वह पहले से बेहतर प्रदर्शन करेगी। राहुल के रोड शो और घोषणापत्र के वादों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम लोगों में उर्जा का संचार हुआ है।
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