“पार्टी जब उम्मीदवार चुनती है तो उसका चरित्र, उसकी पृष्ठभूमि और उसके गुण-दोष नहीं देखे जाते, देखा जाता है कि वह जीत सकता है या नहीं। बाद में अगर वह उम्मीदवार जीतकर कुछ गड़बड़ करता है, तो फिर शिकायत क्यों।” यह कहना है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का। गडकरी एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि सिर्फ जिताऊ होना ही एकमात्र योग्यता होती है टिकट पाने के लिए, चाल, चरित्र और चेहरा, इन सबका कोई मतलब नहीं।
इस कार्यक्रम में बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ता मौजूद थे। उन्होंने कहा कि, “हम शासन की बात करते हैं, लेकिन जब टिकट बांटे जाते हैं तो सिर्फ यह देखा जाता है कि उम्मीदवार जीतेगा कि नहीं।” उन्होंने कहा कि बाद अगर कोई उम्मीदवार ‘खराब’ निकलता है, तो नेता शिकायत करते हैं कि, “यह कैसा व्यक्ति है। तो मैं कहता हूं कि आप ही ने तो कहा था कि चाल, चरित्र, चेहरा कुछ नहीं, सिर्फ जिताऊ होना चाहिए। जैसा बोगे, वैसा ही काटोगे।” उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर बात यह है कि सिर्फ जीत की संभावना ही अहम है बाकी सब बेकार।
Published: undefined
हालांकि उन्होंने कहा कि अगर वोटर जागरुक होंगे और उन्हें आर्थिक-सामाजिक समझ होगी तो वे स्वंय ही अच्छे उम्मीदवार चुनेंगे और अच्छी पार्टी चुनेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि, “बहुत से लोग अपनी जाति के नाम पर टिकट पा जाते हैं, लेकिन जीतने के बाद न जाति का भला करते हैं और न क्षेत्र का। बल्कि अपने बच्चों या पत्नी के लिए टिकट मांगते हैं।”
गडकरी ने बुंदेलखंड के पूर्व विधायक रामनाथ खैरा की पुस्तक ‘जीवन मृत्यु कालचक्र’ के विमोचन में कहा कि गुण-दोष, चाल चरित्र सब यहीं रह जाएगा। गडकरी ने पुराने हिंदी फिल्मी गीत, सजन रे झूठ मत बोलो....न हाथी है न घोड़ा है....का भी जिक्र किया।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined