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मिशन चंद्रयान-2 का काउंटडाउन शुरू, हॉलीवुड की इस फिल्म से भी कम बजट में हुआ तैयार, जानें इसकी खास बातें

करीब 44 मीटर लंबा 640 टन का जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल-मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय) एक सफल फिल्म के हीरो की तरह सीधा खड़ा है। रॉकेट में 3.8 टन का चंद्रयान अंतरिक्ष यान है। रॉकेट को ‘बाहुबली’ उपनाम दिया गया है।

फोटो: @isro
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आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-2 को ले जाने वाले भारत के भारी रॉकेट की 15 जुलाई को तड़के लॉन्चिंग की उल्टी गिनती रविवार सुबह 6.51 बजे शुरू हो गई। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक आला अधिकारी ने यह जानकारी दी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन के. सिवन ने कहा, “रविवार सुबह 6.51 बजे चंद्रयान-2 मिशन की उल्टी गिनती शुरू हो गई।” 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण किया जाएगा। लॉन्च के 52 दिनों के बाद चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरेगा।

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करीब 44 मीटर लंबा 640 टन का जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल-मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय) एक सफल फिल्म के हीरो की तरह सीधा खड़ा है। रॉकेट में 3.8 टन का चंद्रयान अंतरिक्ष यान है। रॉकेट को 'बाहुबली' उपनाम दिया गया है।

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अपनी उड़ान के करीब 16 मिनट बाद 375 करोड़ रुपये का जीएसएलवी-मार्क 3 रॉकेट 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पार्किंग में 170 गुणा 40400 किलीमीटर की कक्षा में रखेगा।

धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3.844 किलोमीटर है। चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे। लैंडर-विक्रम छह सितंबर को चांद पर पहुंचेगा और उसके बाद प्रज्ञान यथावत प्रयोग शुरू करेगा।

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मिशन चंद्रयान-2 की खास बातें:

भारत का दूसरा मून मिशन चंद्रयान-2 रोबोटिक अंतिरिक्ष खोज की दिशा में देश का पहला कदम है। चंद्रयान-2 करीब 6,000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की परिक्रमा करते हुए खुद अपनी रफ्तार को कम और ज्यादा करने की क्षमता होगी और यह चांद के अपरिचित क्षेत्र में सुरक्षित उतर सकता है। यह पूरा कार्य 16 मिनट के भीतर होगा और उतरते समय यह खुद ही उतरने की जगह भी तय करेगा।

मिशन चंद्रयान-2 किसी खगोलीय पिंड पर उतरने का इसरो का पहला अभियान है और यह 2008 में प्रक्षेपित चंद्रयान-1 की ही अगली कड़ी है। इसरो के अनुसार, इस अभियान का मकसद चंद्रमा की उत्पत्ति और क्रमिक विकास को समझने के लिए विस्तृत अध्ययन करना है। चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा का अध्ययन करेगा। यह मौसम का अध्ययन करेगा। चंद्रमा की सतह में मौजूद खनिजों और रासायनिक तत्‍वों का अध्‍ययन के साथ चंद्रमा के बाहरी वातावरण का भी अध्ययन करेगा।

भारत मिशन चंद्रयान-2 की सफलता के साथ अपने अंतरिक्ष अभियान में अमेरिका, रूस और चीन के समूह में शामिल हो जाएगा। चंद्रयान-2 की कुल लागत करीब 12.4 करोड़ डॉलर है, जिसमें 3.1 करोड़ डॉलर लांच की लागत है और 9.3 करोड़ डॉलर उपग्रह की। यह लागत हॉलीवुड की फिल्म ‘एवेंजर्स एंडगेम’ की लागत की आधी से भी कम है। इस फिल्म का अनुमानित बजट 35.6 करोड़ डॉलर थी।”

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