बिहार के सिवान के पूर्व सांसद और आरजेडी नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को जेल भेजवाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू का सिवान में निधन हो गया। चंदा बाबू की मौत बुधवार देर रात को हुई। उन्होंने अपने तीन बेटों की मौत के बाद उन्हें न्याय दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष किया, जिसके नतीजे में आखिरकार शहाबुद्दीन को जेल जाना पड़ा।
चंद्रकेश्वर प्रसाद ने बड़हरिया बस स्टैंड के पास स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली। वह पिछले कुछ हफ्तों से बीमार चल रहे थे। कुछ महीने पहले ही उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। चंद्रकेश्वर प्रसाद तीन बेटों और पत्नी की मौत के बाद इस समय अपने दिव्यांग बेटे के साथ अपने घर पर रह रहे थे।
चंदा बाबू का दावा था कि उनके तीनों बेटों की हत्या कथित तौर पर शहाबुद्दीन के इशारे पर उनके गुर्गो ने की थी। आरोपों के अनुसार, चंदा बाबू पर 16 अगस्त, 2004 को शहाबुद्दीन के गिरोह के कुछ कथित गुंडों ने हमला किया था। हालांकि वह अपने हमलावरों पर तेजाब फेंककर भागने में सफल रहे थे, जिससे हमलावरों में से दो आंशिक रूप से घायल हो गए थे।
बदले की कहानी यहीं से शुरू हुई। हमलावर वापस लौटे और चंदा बाबू के तीन बेटों का अपहरण करने में सफल रहे। बदमाशों ने कथित तौर पर उनके दोनों बेटों को तेजाब से तब तक नहलाया था, जब तक कि उनकी मौत नहीं हो गई, जबकि तीसरा बेटा राजीव प्रसाद जो घटना का चश्मदीद गवाह था, वह मौके से भागने में कामयाब रहा। चंदा बाबू और उनके तीसरे बेटे ने दावा किया कि शहाबुद्दीन और उनके लोगों ने उसके दोनों भाइयों को मार डाला। तीसरे बेटे की गवाही के आधार पर प्रसाद ने कोर्ट में संघर्ष किया और आखिरकार केस जीत गए।
इस मामले में चूंकि चंदा बाबू का तीसरा बेटा एकमात्र चश्मदीद गवाह था, इसलिए बदमाशों ने उन पर शहाबुद्दीन पर लगाए गए आरोपों को वापस लेने के लिए दबाव बनाया। पिता और पुत्र दोनों ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद कथित तौर पर शहाबुद्दीन के गुंडों ने साल 2015 में राजीव को उसकी शादी के मात्र 18 दिन बाद डीएवी स्कूल के पास गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस समय पूर्व सांसद शहाबुद्दीन दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
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