केंद्र सरकार ने क्रिप्टो करेंसी पर भारत में बैन लगाने की मंजूरी दे दी है। क्रिप्टो करेंसी पर उनके मूल्यों की अनिश्चितता के चलते मंत्रियों की एक समिति ने क्रिप्टो करेंसी पर भारत में बैन लगाने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही समिति ने क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन से संबंधित किसी भी गतिविधि में शामिल होने पर दंड के प्रावधान को भी मंजूरी दे है।
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पिछले महीने रिपोर्ट आई थी कि भारत में डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध है। क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019 के ड्राफ्ट के प्रस्ताव के मुताबिक देश में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री करने वालों को 10 साल की जेल की सजा होगी।
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हाल ही में सोशल नेटवर्क साइट चलाने वाली कंपनी फेसबुक (Facebook) ने मंगलवार को घोषणा की कि वह अपनी खुद की आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) शुरू करने जा रही है जिसे ''लिबरा के नाम से जाना जाएगा। इस कदम का मकसद मौजूदा उपलब्ध स्मार्ट साधनों के जरिये कम लागत वाली वैश्विक भुगतान प्रणाली तैयार करना है।
दरअसल क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी मुद्रा है जिसे डिजिटल माध्यम के रूप में निजी तौर पर जारी किया जाता है। यह क्रिप्टोग्राफी और ब्लॉकचेन जैसी डिस्ट्रीब्यूटर लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के आधार पर काम करती है। सरल शब्दों में कहें तो ब्लॉकचेन एक ऐसा बहीखाता है जिसमें लेनदेन को ब्लॉक्स के रूप में दर्ज किया जाता है और क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल कर उन्हें लिंक कर दिया जाता है। क्रिप्टोग्राफी सूचनाओं को सहेजने और भेजने का ऐसा सुरक्षित तरीका है जिसमें कोड का इस्तेमाल किया जाता है और सिर्फ वही व्यक्ति उस सूचना को पढ़ सकता है जिसके लिए वह भेजी गई है। इसको खरीदने और बेचने के लिए किसी बैंक में जाने या किसी संस्था में जाने की जरुरत नहीं पड़ती है। इसके प्रयोग से बड़ी आसानी से पैसों को छुपाया जा सकता है।
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सबसे पहले क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत 2009 में हुई थी जो बिटकॉइन थी। इसको जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था। शुरुआत में यह उतनी प्रचलित नहीं थी, लेकिन रे-धीरे इसके रेट आसमान छूने लगे, जिससे यह सफल हो गई। बिटकॉइन के अलावा भी अन्य क्रिप्टो करेंसी बाजार में उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग आजकल अधिक हो रहा है, जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कोइन, वॉइस कॉइन और मोनरो।
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