केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले को उच्चतम राजनीतिक स्तर पर उठाया गया है, लेकिन इसके बावजूद ब्रिटेन सरकार ने गोपनीय कार्यवाही का विवरण साझा करने से इनकार कर दिया है, जिससे उसके प्रत्यर्पण मामले में देरी हो रही है।
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जस्टिस यू.यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "दिसंबर 2020 में, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश सचिव डोमिनिक राब के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था और हाल ही में जनवरी 2021 में, भारत के गृह सचिव ने इसे ब्रिटेन के गृह मामलों के परमानेंट अंडर सेक्रेटरी के समक्ष उठाया।" उन्होंने कहा कि पिछले साल नवंबर में भारत के विदेश सचिव ने ब्रिटेन की गृह सचिव प्रीति पटेल के समक्ष माल्या के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया था, जिन्होंने जवाब दिया था कि ब्रिटेन की कानूनी जटिलताएं माल्या के त्वरित प्रत्यर्पण को रोक रही हैं।
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तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि भारत सरकार को सूचित किया गया है कि कुछ कानूनी मुद्दों को माल्या के प्रत्यर्पण से पहले हल करने की आवश्यकता है। मेहता ने कहा, "ब्रिटिश कानून के तहत, प्रत्यर्पण तब तक नहीं हो सकता, जब तक इसका हल नहीं हो जाता। मामला गोपनीय है और आप समझ लें कि उनकी सरकार कोई और जानकारी नहीं दे सकती है।" मेहता ने ब्रिटेन सरकार के आधिकारिक जवाब का हवाला देते हुए यह बात कही।
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इसके साथ ही तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि माल्या के प्रत्यर्पण को उच्चतम स्तर पर आगे बढ़ाया गया है और मामले पर स्थगन की मांग की। शीर्ष अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 15 मार्च की तारीख तय की है।
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