हालात

फॉक्सकॉन के बाद एयरबस प्रोजेक्ट भी गुजरात गया, महाराष्ट्र को मिलने वाले 1.5 लाख रोजगार गए दूसरे राज्यों की झोली में

बीते तीन महीने के दौरान महाराष्ट्र में करीब 1.50 लाख रोजगार पैदा करने वाले प्रोजेक्ट गुजरात और अन्य बीजेपी शासित राज्यों को दे दिए गए। इसे लेकर विपक्ष के साथ ही अब शिंदे सरकार के उद्योग मंत्री ने भी सवाल उठा दिया है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

महाराष्ट्र में जब से एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार बनी है तब से अब तक महाराष्ट्र में लगने वाले करीब 1.56 लाख रोजगार पैदा करने वाले कई प्रोजेक्ट या तो गुजरात या फिर किसी अन्य बीजेपी शासित राज्य को दे दिए गए हैं। ताजा मामला टाटा-एयरबस के संयुक्त उपक्रम के तौर पर सी-295 सैन्य एयरक्राफ्ट निर्माण का प्रोजेक्ट है जो महाराष्ट्र के बजाए गुजरात भेज दिया गया है। एक अनुमान के मुताबिक इस प्रोजेक्ट से करीब 6000 रोजगार पैदा हो सकते थे।

वैसे यह पहला मौका नहीं है जब महाराष्ट्र के हिस्से में आए प्रोजेक्ट दूसरे राज्यों को दे दिए गए हैं। इससे पहले करीब एक लाख रोजगार पैदा करने वाले इससे पहले करीब 1.54 लाख करोड़ की लागत वाला वेदांता-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट भी महाराष्ट्र से लेकर गुजरात भेज दिया गया था। एक अनुमान के मुताबिक  इस प्रोजेक्ट से महाराष्ट्र में करीब एक लाख रोजगार पैदा हो सकते थे। इसी तरह करीब 3000 करोड़ की लागत से बनने वाले बल्क ड्रग पार्क को भी बीजेपी शासित हिमाचल प्रदेश भेज दिया गया। इस प्रोजेक्ट से भी करीब 50000 रोजगार सृजित हो सकते थे।

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एक के बाद एक चार बड़े ओद्योगिक प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के हाथ से फिसलने के बाद एकनाथ शिंदे-फडणवीस सरकार लगातार शर्मिंदगी का सामना कर रही है। और, अब तो सरकार के मंत्री ही इसे लेकर सवाल उठाने लगे हैं। हाल के दिनों में महाराष्ट्र में लगने वाले करीब 1.40 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट गुजरात चले गए हैं।

ताजा मामला टाटा-एयरबस सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट निर्माण से जुड़ा प्रोजेक्ट का है। करीब 22,000 करोड़ का यह प्रोजेक्ट भी गुजरात चला गया है। हालत यह है कि महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने खुलकर कहा है कि डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने तो नागपुर में लगने वाले इस प्रोजेक्ट को राज्य से बाहर न जाने देने के लिए काफी कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

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सामंत का बयान सामने आने के कुछ ही देर बाद शिंदे गुट वाली शिवसेना के विधायक ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट को गुजरात में स्थापित करने का समझौता किया था। लेकिन सामंत ने पूरे मामले में असमंजस की स्थिति सामने आने के लिए जहां विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया वहीं इका दोष भी विपक्ष पर ही मढ़ दिया। यहां बताना जरूरी है कि अभी पिछले महीने सितंबर में ही साममंत ने कहा था कि टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट नागपुर के मिहान में लगेगा।

बता दें कि सी-295 एरक्राफ्ट का निर्माण अब एयरबस और टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम द्वारा किया जाएगा। और अब यह प्रोजेक्ट गुजरात के वडोदरा में लग रहा है। समझौते के मुताबिक भारत सरकार ने 2021 में एयरबस के साथ 56 सी-295 सैन्य ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का सौदा एयरब के साथ किया था। इनमें से 40 का निर्माण भारत में ही होना है। सरकारी घोषणा के मुताबिक 16 एयरक्राफ्ट स्पेन से आएंगे जो इस्तेमाल के लिए तैयार होंगे। इन एयरक्राफ्ट की डिलीवरी समझौता होने के 48 महीने के अंदर होनी है।

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इस प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र में लगाने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना था। लेकिन यह मुलाकात नहीं हो सकी और इससे पहले कि महाराष्ट्र इस प्रोजेक्ट को अपने यहां लगाने के लिए कोई और जतन करता, इस प्रोजेक्ट को भी बीजेपी शासित गुजरात भेज दिया गया, जहां अगले महीने विधानसभा चुनाव होने हैं। विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक इस प्रोजेक्ट से स्थानीय स्तर पर कम से कम 6000 प्रत्यक्ष और परोक्ष नौकरियां सृजित होंगी।

इस प्रोजेक्ट के गुजरात जाने पर महा विकास अघाड़ी सरकार में पूर्व मंत्री और उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे ने सवाल उठाया है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “खोके सरकार ने एक और परियोजना महाराष्ट्र के बाहर जाने दी। मैं जुलाई माह से लगातार मांग कर रहा हूं कि 'टाटा एयरबस प्रोजेक्ट' महाराष्ट्र से बाहर न जाए, यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएं। लेकिन यह फिर से हुआ। महाराष्ट्र में पिछले तीन महीनों से लगातार परियोजनाएं क्यों बाहर जा रही हैं?” उन्होंने आगे कहा, “यह देखा जा सकता है कि उद्योग को खोके सरकार पर कोई भरोसा नहीं है। महाराष्ट्र से 4 प्रोजेक्ट निकल जाने के बाद भी क्या उद्योग मंत्री इस्तीफा देंगे?”

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ठाकरे ने याद दिलाया कि टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन के साथ अपनी दो बैठकों के दौरान, उन्होंने और पूर्व उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने परियोजना को महाराष्ट्र में स्थापित करने पर जोर दिया था। एनसीपी की महाराष्ट्र इकाई के महेश तापसे ने भी कहा है कि महाराष्ट्र के हितों की रक्षा करने में विफल रहने के लिए यूके के प्रधान मंत्री लिज़ ट्रस की तरह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी इस्तीफा देना चाहिए।

याद दिला दें कि इससे पहले करीब 1.54 लाख करोड़ की लागत वाला वेदांता-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट भी महाराष्ट्र से लेकर गुजरात भेज दिया गया था। एक अनुमाम के मुताबिक  इस प्रोजेक्ट से महाराष्ट्र में करीब एक लाख रोजगार पैदा हो सकते थे। इसी तरह करीब 3000 करोड़ की लागत से बनने वाले बल्क ड्रग पार्क को भी बीजेपी शासित हिमाचल प्रदेश भेज दिया गया। इस प्रोजेक्ट से भी करीब 50000 रोजगार सृजित हो सकते थे।

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