केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बारे में जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है। गृह मंत्रालय ने जवाब में कहा है कि यह बताई नहीं जा सकती है। मंत्रालय ने आरटीआई अधिनियम- 2005 की धारा 8 (1) (आई) के तहत सूचना देने से इनकार किया है।
पूर्व आईपीएस अधिकारी की पत्नी नूतन ठाकुर ने इस बारे में बताते हुए कहा कि फैसले से असहमति जताते हुए अमिताभ ठाकुर ने पहली अपील को यह कहते हुए दायर किया कि इस मामले में पहले ही फैसला हो चुका है और इसलिए धारा 8 (1) (आई) के तहत इनकार करना सही नहीं है। नूतन ठाकुर ने बताया कि अमिताभ ने अपनी आजीविका से जुड़ी सूचनाओं को आरटीआई अधिनियम की मूल भावना के खिलाफ होने से भी इनकार किया है।
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अमिताभ ठाकुर को आरटीआई के माध्यम से गृह मंत्रालय से मांगे गए उनके तीन सवालों के खिलाफ 26 अप्रैल को हिंदी में जवाब मिला। पूर्व आईपीएस ने हिंदी में ही आरटीआई क्वेरी पेश की थी। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि वे अमिताभ ठाकुर के किसी भी आरटीआई जवाब के बारे में नहीं जानते हैं।
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बता दें कि एमएचए द्वारा लिए गए निर्णय के बाद 1992-बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को दो अन्य के साथ इस वर्ष 23 मार्च को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी। अमिताभ ठाकुर को फिट नहीं करार देने के बाद उनकी सेवा को समय से पहले खत्म कर दिया गया था। गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया, जनहित में अमिताभ ठाकुर को तत्काल प्रभाव से अपनी सेवा पूरी करने से पहले समय से पहले सेवानिवृत्ति दी जा रही है।
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इसके बाद अमिताभ ठाकुर ने ट्विटर पर बताया कि उन्हें गृह मंत्रालय द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें सिर्फ वीआरएस ऑर्डर मिला था, जिसमें कहा गया था कि सरकार को अब उनकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है और इसलिए उन्हें समय से पहले सेवानिवृत्ति दे दी गई है।
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