मिजोरम के अधिकारियों ने सोमवार को बड़ा दावा करते हुए खुलासा किया कि केंद्र सरकार ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर से आए 12,600 से अधिक विस्थापितों को राहत देने के लिए मिजोरम को अब तक कोई धन नहीं दिया है। मिजोरम गृह विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार ने मणिपुर से विस्थापित होने के बाद मिजोरम के विभिन्न जिलों में शरण लेने वाले लोगों की मदद के लिए 10 करोड़ रुपये की मांग की है।
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मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 12,600 लोगों की देखभाल के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा था, जो फिलहाल राहत शिविरों, चर्च परिसरों, किराए के घरों और रिश्तेदारों के घरों में शरण लिए हुए हैं। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। ज़ोरमथांगा के इन पत्रों का पीएम की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
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राज्य के पर्यटन मंत्री रॉबर्ट रोमाविया रॉयटे के नेतृत्व में मिजोरम सरकार की एक टीम ने 16 जून को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की और गृह मंत्रालय से फंड जारी करने में तेजी लाने की मांग की। गृह सचिव ने कथित तौर पर उन्हें धन जारी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन केंद्र से अभी तक कोई वित्तीय मदद नहीं मिली है।
गृह विभाग के अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार को अभी भी उम्मीद है कि केंद्र सरकार इन विस्थापितों और हिंसा प्रभावित लोगों के लिए धन मुहैया कराएगी। राज्य प्रशासन ने विधायकों, सरकारी कर्मचारियों, बैंकरों और अन्य लोगों से आश्रय प्राप्त लोगों की राहत के लिए दान देने का आग्रह किया है।
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मणिपुर के 12,610 लोगों में से 4,440 लोगों ने कोलासिब जिले में, 4,265 लोगों ने आइजोल में और 2,951 लोगों ने सैतुअल में और शेष ने आठ जिलों- चम्फाई, ममित, सियाहा, लांग्टलाई, लुंगलेई, सेरछिप, ख्वाजावल और हनाथियाल में शरण ली है। आइजोल, कोलासिब और सैतुअल में राज्य सरकार और स्थानीय अधिकारियों द्वारा 38 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। राज्य सरकार, यंग मिज़ो एसोसिएशन सहित विभिन्न गैर सरकारी संगठन, चर्च, ग्रामीण और आम लोग इन प्रवासियों को भोजन और अन्य बुनियादी चीजें उपलब्ध करा रहे हैं।
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मिजोरम की 95 किमी लंबी सीमा मणिपुर से लगती है। विस्थापित 12,600 कुकी-चिन-ज़ोमी आदिवासियों की जातीय और सांस्कृतिक समानता मिज़ो लोगों के साथ है। ईसाई बहुल पहाड़ी राज्य म्यांमार से आए 35,000 शरणार्थियों और दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों से आए 1,000 शरणार्थियों ने भी यहां शरण ले रखी है।
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