झारखंड में जैन समाज के पवित्र तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के खिलाफ देश भर में हफ्तों से जारी जैन समुदाय के विरोध प्रदर्शन के आगे केंद्र सरकार आखिकार आज झुक गई। केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर मुद्दे पर बड़ा फैसला लेते हुए इसे पर्यटन स्थल बनाने के फैसले पर आज तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले से जैन समाज काफी नाराज चल रहा था।
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने इस मसले पर एक कमेटी भी बनाने का फैसला लिया है। केंद्र ने कमेटी बनाते हुए राज्य सरकार को समिति में जैन समुदाय से 2 सदस्य और एक सदस्य स्थानीय जनजातीय समुदाय से शामिल करने को कहा है। साथ ही केंद्र ने झारखंड सरकार से इस मुद्दे पर जरूरी कदम उठाने को भी कहा है। केंद्र ने राज्य को 2019 की अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों पर रोक लगाने के भी आदेश दिए हैं।
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सम्मेद शिखर विवाद में केंद्र का यह फैसला जैन समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की मुलाकात के बाद आया है। भूपेंद्र यादव ने बैठक में जैन समाज के लोगों को भरोसा दिया था कि केंद्र सरकार सम्मेद शिखर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में जल्द कोई ठोस कदम उठाएगी।
बता दें कि अगस्त 2019 में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने सम्मेद शिखर और पारसनाथ पहाड़ी को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया था। इसके आलोक में झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। जिसके बाद इस तीर्थस्थल को पर्यटन के हिसाब से तब्दील किया जाना था। इसी बात पर जैन समाज को आपत्ति थी। उनका कहना था कि ये सम्मेद शिखर पवित्र धर्मस्थल है और पर्यटकों के आने से यह पवित्र नहीं रहेगा।
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दरअसल जैन धर्म का तीर्थस्थल सम्मेद शिखर झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी का नाम जैनों के 23वें तीर्थांकर पारसनाथ के नाम पर है। माना जाता है कि जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थांकरों ने यहीं निर्वाण लिया था। इसलिए ये जैनों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थल में से है। कहा जाता है कि यहां कुछ मंदिर दो हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं। जैन धर्म मानने वाले लोग हर साल सम्मेद शिखर की यात्रा करते हैं। उनकी मान्यता है कि जीवन में कम से कम एक बार यहां की यात्रा करनी चाहिए।
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सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले के खिलाफ सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि दिल्ली, जयपुर और भोपाल तक में प्रदर्शन हो रहे थे। इस बीच फैसले के खिलाफ जयपुर में अनशन पर बैठे एक जैन संत का निधन हो गया था। 72 साल के सुज्ञेयसागर महाराज लगातार अनशन पर थे। उनके निधन के बाद जैन समाज आंदोलन और तेज हो गया था। बहरहाल केंद्र के यूटर्न से फिलहाल इस विवाद का पटाक्षेप होता दिख रहा है।
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