उत्तर प्रदेश के हाथरस समेत देश भर में महिलाओं के खिलाफ हाल में बढ़ते जघन्य अपराधों पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। साथ ही इस तरह के मामलों में एफआईआर अनिवार्य रूप से दर्ज करने के साथ पुलिस कार्रवाई भी अनिवार्य कर दी गई है। मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को जारी दिशानिर्देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में अनिवार्य दिशानिर्देशों के अनुपालन में लापरवाही पर पुलिस से पूछताछ की जाए और लापरवाही के लिए जिम्मेदार संबंधित अधिकारियों के खिलाफ तुरंत आवश्यक कार्रवाई की जाए।
Published: 10 Oct 2020, 4:06 PM IST
केंद्र की एडवाइजरी में कहा गया है, "यह अनुरोध किया जाता है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कानून में प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधितों को निर्देश जारी कर सकते हैं।" राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग प्रणाली (आईटीएसएसओ) पर मामलों की निगरानी करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून में आवश्यकतानुसार समयबद्ध तरीके से आरोप पत्र पर उचित कार्रवाई हो।
Published: 10 Oct 2020, 4:06 PM IST
बीते दिनों उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ गैंगरेप और फिर यातनाएं दिए जाने के कारण मौत होने के कई दिनों बाद गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को यह एडवाइजरी जारी की। झारखंड और राजस्थान समेत अन्य कई राज्यों में भी इसी तरह के अपराध दर्ज किए गए थे, जिसके बाद व्यापक विरोध और राजनीतिक आक्रोश के कारण, मंत्रालय ने नई एडवाइजरी जारी करने का कदम उठाया है।
Published: 10 Oct 2020, 4:06 PM IST
इस एडवाइजरी में गृह मंत्रालय ने 16 मई, 2019 की एडवाइजरी को संदर्भित किया है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ए के तहत सीआरपीसी की धारा 154 की उप-धारा (1) के तहत सूचना रिकॉर्ड करने में विफलता के बारे में है। एमएचए ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में पुलिस द्वारा समय पर और सक्रिय कार्रवाई के बारे में 5 दिसंबर, 2019 को अपनी एक अन्य एडवाइजरी का भी संदर्भ लिया है।
Published: 10 Oct 2020, 4:06 PM IST
इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने पुलिस रिसर्च और विकास ब्यूरो (बीपीआर एंड डी) द्वारा जारी महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म की जांच और मुकदमा चलाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का भी उल्लेख किया है और 'बीपीआर एंड डी' द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यौन उत्पीड़न साक्ष्य संग्रह के वितरण के बारे में बिंदुओं को जोड़ा है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
Published: 10 Oct 2020, 4:06 PM IST
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Published: 10 Oct 2020, 4:06 PM IST