पेपर लीक रोकने के लिए सीबीएसई ने जो नया तरीका अपनाया था, वह पूरी तरह नाकाम साबित हुआ। नई व्यवस्था का पहला दिन स्कूल प्रशासन, छात्रों और माता-पिता के लिए मुसीबतों भरा साबित हुआ। जानकारी के मुताबिक कई स्कूलों में परीक्षा प्रश्नपत्र डेढ़ से दो घंटे देरी से पहुंचे और इसीलिए परीक्षा भी करीब दो घंटे देरी से ही शुरु हो सकी। नतीजतन बच्चों के अभिभावक परीक्षा केंद्रों के बाहर देर दोपहर तक इंतजार करते नजर आए। कई स्कूलों में तो बच्चे और भी देर से बाहर आ पाए। सीबीएसई का सोमवार को बारहवीं कक्षा का हिंदी, गुजराती और कश्मीरी भाषा का पेपर था जबकि दसवीं कक्षा का फ्रेंच, संस्कृत और उर्दू का पेपर था।
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लीक से बचने के लिए सीबीएसई ने जो तरीका अपनाया था या यूं कहें कि जो व्यवस्था बनाई थी, उसने स्कूल प्रशासन को परेशानी में डाल दिया। नए सर्कुलर के मुताबिक बोर्ड से कोई पेपर नहीं आना था, बल्कि प्रश्नपत्रों को सोमवार सुबह सीबीएसई की वेबसाइट से डाउनलोड करना था। लेकिन, काफी देर तक पेपर डाउनलोड ही नहीं हुआ। इसके बाद परीक्षा केंद्र व्यवस्थापकों और सुप्रिंटेंडेंट को टीम के साथ सीबीएसई दफ्तर जाना पड़ा। वहां हुई बैठक में तय किया गया कि पेपर सीबीएसई से ही भेजे जाएंगे। फिर करीब सुबह 10.30 बजे स्कूलों को प्रश्नपत्रों के सेट दिए गए और टीमें अपने- अपने स्कूल रवाना हुईं। लेकिन सुबह के समय ट्रैफिक जाम के कारण कई स्कूलों में पेपर 11.30 बजे तक ही पहुंच पाए। इसके बाद ही छात्रों को पेपर वितरित किए जा सके और परीक्षा करीब दो घंटे की देरी से शुरु हुई। चूंकि पेपर शुरु ही देर से हुआ इसलिए कई स्कूलों में पेपर खत्म होते-होते तीन बज गए। सीबीएसई ने अब तय किया है कि पेपर अब परीक्षा केंद्रों पर डाउनलोड नहीं किया जाएगा और पहले की तरह ही प्रश्नपत्र केंद्रों को भेजे जाएंगे।
इस बीच कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने आरोप लगाया है कि एक तरफ तो छात्र परेशान हैं, तो दूसरी तरफ मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस मामले पर कान बंद कर रखे हैं। उसका कहना है कि छात्रों की परेशानियां समझने के बजाए जावड़ेकर कर्नाटक में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
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वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव गौड़ा ने कहा है कि पेपर लीक और शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त होना बीजेपी के लिए नई बात नहीं है। उन्होंने कहा है कि एसएससी पेपर लीक हुए, व्यापमं से कई मौतें हुई। सीबीएसई लीक और कुछ नहीं बल्कि मोदी सरकार की अक्षमता और शिक्षा व्यवस्था की अनदेखी का सबूत है। उन्होंने कहा है कि प्रकाश जावड़ेकर राजनीति में व्यवस्त हैं और उन्होंने इस तरह मानव संसाधन विकास मंत्री के पद के लिए खुद को अयोग्य साबित कर दिया है।
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