सीबीआई पिछले कुछ दिनों से आंतरिक कलह से जूझ रही है। जांच एजेंसी इस पूरे बवाल की वजह से संस्थान में फैली नकारात्मक उर्जा को खत्म करने के लिए श्रीश्री रविशंकर की शरण में पहुंच गई है। श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग एक कार्यशाला का आयोजन कर रही है, जो सीबीआई मुख्यालय में शनिवार से शुरू होगी। इस तीन दिवसीय वर्कशॉप में जांच एजेंसी के 150 से ज्यादा अधिकारी हिस्सा लेंगे।
Published: 09 Nov 2018, 7:59 PM IST
सीबीआई की एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, तालमेल, गुणवत्ता और सकारात्मक माहौल बनाने के लिए सीबीआई श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग की दिनों की कार्यशाला का आयोजन कर रही है। सीबीआई द्वारा इस कार्यशाला को आयोजित करने का उद्देश्य जांच एजेंसी के अंदर सकारात्मकता, तालमेल को बढ़ाना और स्वस्थ माहौल पैदा करना है और कर्मचारियों को प्रोत्साहित कर उनकी पूरी कार्यक्षमता को वापस लाना है।
Published: 09 Nov 2018, 7:59 PM IST
एक ऐसे समय में सरकार सीबीआई का भगवाकरण की कोशिश कर रही है और सीबीआई में उच्च स्तर पर टकराव चल रहा है, उस समय सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव के अलावा कोई और बीजेपी समर्थक आध्यात्मिक गुरू को आमंत्रित कर कार्यक्रम कराने के बारे में सोच भी नहीं सकता है। ‘हिंदू पुनर्जागरण’ के काम में राव की अतिरिक्त सक्रियता रहती है और वे अक्सर आरएसएस समर्थक इंडिया फाउंडेशन और विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के कार्यक्रम में शामिल होते हैं।
सीबीआई मुख्यालय में श्री श्री रविशंकर के वर्कशाप आयोजन करने पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तंज कसा है। उन्होंने कहा, “सीबीआई के डायरेक्टर पद से आलोक वर्मा को हटाने के बाद दागदार नागेश्वर राव को कार्यकारी डायरेक्टर नियुक्त किया गया। अब सीबीआई नकारात्मक उर्जा को खत्म करने के लिए मुख्यालय में श्री श्री रविशंकर का वर्कशाप का आयोजन करा रही है। ऐसा लगता है कि जल्द ही सीबीआई मुख्यालय में तांत्रिक, ज्योतिषी और सांप पकड़ने वाले दिखाई देंगे।”
दूसरी ओर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा आज केंद्रीय सतर्कता आयोग के सामने पेश हुए। उन्होंने अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर जवाब दिया और घूस सहित अन्य सभी तरह के आरोपों को खारिज कर दिया।
Published: 09 Nov 2018, 7:59 PM IST
बता दें कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच जंग छिड़ी हुई है। दोनों शीर्ष अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इसको लेकर सरकार की भी किरकिरी होने लगी तो मोदी सरकार ने सीवीसी की अनुशंसा पर कार्रवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को लंबी छुट्टी पर भेज दिया, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। आखिरी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीवीसी दो हफ्ते के भीतर निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपे। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।
(उमाकांत लखेड़ा के इनपुट के साथ)
Published: 09 Nov 2018, 7:59 PM IST
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Published: 09 Nov 2018, 7:59 PM IST