ऐन लोकसभा चुनाव के मौके पर येदियुरप्पा की डायरी के वह पन्ने एक पत्रिका की खबर के रूप में सामने आए हैं जिनमें साफ लिखा है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहते हुए बी एस येदियुरप्पा ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को सैकड़ों करोड़ रुपए दिए थे। इन पन्नों के सार्वजनिक होने से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई हैं, लेकिन उसके बचाव में एक सरकारी विभाग सामने आया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि हैदराबाद स्थित केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री ने उसे बताया था कि चूंकि पन्ने जिस डायरी के हैं, वह डायरी उसके पास नहीं है, ऐसे में इन पन्नों पर मौजूद हस्ताक्षरों को बी एस येदियुरप्पा के हस्ताक्षर प्रमाणित नहीं किए जा सकते।
सीबीडीटी के इस बयान को आयकर विभाग की कमिश्नर सुरभि अहलूवालिया के हस्ताक्षर से जारी किया गया है। बयान में कहा गया है कि डायरी के ये पन्ने खुले हुए थे और मूल पन्नों की फोटो कॉपी थे। ये पन्ने अगस्त 2017 में उस समय सामने आए थे जब कर्नाटक के कांग्रेस नेता डी के शिवकुमार की संपत्तियों पर छापे डाले गए थे।
इस केस में आयकर विभाग के सामने पेश होने पर डी के शिवकुमार ने 19 अक्टूबर को बताया था कि वह स्वयं इन दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता साबित नहीं कर सकते, लेकिन उन्हें विश्वास है कि इसमें दिया गया सारा ब्योरा बी एस येदियुरप्पा का ही लिखा हुआ है। इन पन्नों में लिखा है कि किस तरह मंत्रियों, विधायकों और कई नेताओं को मोटी रकम का भुगतान हुआ है। उस समय बी एस येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे।
डी के शिवकुमार ने आयकर विभाग को यह भी बताया था कि एक राजनीतिज्ञ होने के नाते उन्हें सरकारी कर्मचारियों/अफसरों और दूसरे नेताओं के बारे में जानकारियां मिलती रहती हैं। उन्होंने कहा था कि उन्हें यह कागजात किसने दिए वे उसका नाम नहीं बताएंगे। साथ ही उन्होंने कहा था कि यह लेनदेन कब हुआ इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं है।
उसी वर्ष 25 नवंबर को बी एस येदियुरप्पा ने इन पन्नों की सत्यता पर सवाल उठाया था। येदियुरप्पा ने आयकर विभाग को बताया था कि कोई डायरी लिखने की उनकी आदत नहीं है और डायरी के पन्नों पर दर्ज ब्योरा उनके द्वारा लिखा गया नहीं है। उन्होंने कुल मिलाकर ऐसे किसी भी लेनदेन से अनभिज्ञता जताई थी।
पिछले साल यानी 2018 के अप्रैल में आयकर विभाग ने हैदराबाद की केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लैब को इन पन्नों की जांच करने और इन पर मौजूद हस्ताक्षरों को बी एस येदियुरप्पा के हस्ताक्षरों से मिलाने के लिए लिखा था। विभाग ने लैब को येदियुरप्पा की लिखावट और हस्ताक्षर का नमूना भी भेजा था। लेकिन इसके जवाब में लैब ने कहा था कि जांच के लिए उसे मूल डायरी चाहिए, तभी जांच हो सकती है।
लेकिन, आयकर विभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी मूल डायरी बरामद नहीं हो सकी। ऐसे में सीबीडीटी ने नतीजा निकाला है कि डायरी के पन्ने संदिग्ध हैं।
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