बिहार में अगले साल यानी 2023 में जाति जनगणना शुरु होगी। मंगलवार को हुई नीतीश सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक में इस मुद्दे पर मुहर लगा दी गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 13 मुद्दों पर मंजूरी दी गई। इनमें सबसे अहम जाति आधारित जनगणना का मुद्दा रहा। सरकार ने जाति आधारित गणना की समय सीमा बढ़ा दी है। इस काम के लिए सरकार ने अलग से फंड भी जारी करने को मंजूरी दे दी है।
मंत्रिमंडल ने जाति जनगणना के लिए एप और पोर्टल निर्माण के लिए परामर्शी के चयन को मंजूरी देते हुए इस पर होने वाले अनुमानित खर्च 2 करोड़ 44 लाख 94 हजार 440 रुपए की मंजूरी भी दी है। यह काम बेल्ट्रॉन यानी बिहार स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को को सौंपा जाएगा। बॉल्ट्रॉन को यह भुगतान करने की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।
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इसके अलावा बैठक में बिहार के पांचवे और छठे केंद्रीय वेतनमान के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता यानी डीए भी बढ़ाया गया है। पांचवां वेतनमान पाने वाले को 15 फीसदी और छठा वेतनमान पाने वाले और पूर्व कर्मचारियों को 9 फीसदी महंगाई भत्ता ज्यादा दिया जाएगा।
पांचवें वेतनमान के तहत वेतन और पेंशन हासिल करने वाले राज्य सरकार के कर्मचारियों और पेंशन भोगियों और परिवार पारिवारिक पेंशन भोगियों को 1 जुलाई 2022 से 381 प्रतिशत के स्थान पर 396 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिए जाने को मंजूरी दी गई है। वहीं छठे वेतनमान के कर्मचारियों और पेंशन भोगियों 1 जुलाई 2022 से 203 फीसदी की जगह 212 प्रतिशत महंगाई भत्ता/ राहत की स्वीकृति कैबिनेट ने दी है।
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कैबिनेट बैठक में शराब बंदी के तहत मोटर बोट, भाड़े पर रखे गए वाहनों के किराया, नए चेक पोस्ट निर्माण, मोबाइल हैंड स्कैनर एवं कॉल सेंटर का टोल फ्री नंबर, मद्य निषेध के प्रचार-प्रसार पर हुए खर्च के लिए 25 करोड़ रु आकस्मिकता निधि से दी गई है।
पटना, भोजपुर सारण और अन्य जिलों में अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए हाई स्पीड मोटर बोट, चेन एवं अन्य उपस्कर क्रय करने के लिए आकस्मिकता निधि से 5 करोड़ की अग्रिम की स्वीकृति दी गई है।
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