पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आगामी विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल को चुनावी परिदृश्य से हटाने का आह्वान करते हुए शनिवार को कहा कि 'अब यह बिल्कुल स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमरिंदर सिंह और बादल राज्य के हितों को नष्ट करने के लिए आमने-सामने हैं, चाहे वह कृषि हो, उद्योग हो या आम आदमी का हित हो।' चन्नी ने बरनाला शहर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए लोगों से उन 'संदिग्ध' राजनेताओं की पहचान करने के लिए कहा, जो उनका भावनात्मक रूप से पूरी तरह से शोषण करने पर तुले हुए हैं।
राज्य में 18 साल से ऊपर की हर महिला को 1,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता देने के वादे के लिए आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को फटकार लगाते हुए चन्नी ने कहा, "हम केजरीवाल को तथ्यों और आंकड़ों के साथ आने की चुनौती देते हैं कि उन्होंने दिल्ली में कितनी महिलाओं को यह राहत दी है।"
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इसी तरह, उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग काफी समझदार हैं और इस बार उनके झूठे वादों से उन्हें धोखा नहीं दिया जा सकेगा, क्योंकि वह और उनकी पार्टी गैर-प्रदर्शन के कारण पूरी तरह से बेनकाब हो गए हैं, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि 20 में से 11 आप विधायकों ने पहले ही अन्य राजनीतिक दलों के प्रति अपनी वफादारी दिखा दी है। चन्नी ने यह भी कहा कि अब अनिवासी भारतीयों को भी यह एहसास हो गया है कि यह खोखले दावों वाली पार्टी है, जो राज्य के मूल मुद्दों से दूर से है। उन्होंने केजरीवाल से यह भी बताने को कहा कि दिल्ली में कितने किसानों को कर्जमाफी या कृषि क्षेत्र में मुफ्त बिजली मिल रही है।
पंजाब सीएम ने केजरीवाल पर उनकी सरकार द्वारा हाल में लिए गए जनहितैषी फैसलों को लागू न करने के बारे में गलत सूचना फैलाकर अपने निहित स्वार्थो को आगे बढ़ाने के लिए गैर-जिम्मेदाराना बयान देने का भी आरोप लगाया। चन्नी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के झूठे दावों का जवाब देते हुए उन्हें चुनौती दी कि वे लोगों को पेट्रोल और डीजल की मौजूदा कीमतों के अलावा अपने राज्य में विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं को आपूर्ति की जा रही बिजली की दरों के बारे में बताएं, जो पंजाब की तुलना में कहीं अधिक है।
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उन्होंने कहा कि पंजाब देशभर में एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां लोगों को पेट्रोल, डीजल और बिजली सस्ती दरों पर मिल रही है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर बादल पर निशाना साधते हुए चन्नी ने कहा कि पिता-पुत्र की जोड़ी ने सुखबीर की पत्नी हरसिमरत कौर बादल के साथ केंद्र में कठोर कानून बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि शिअद ने ही इन किसान विरोधी कानूनों की नींव रखी। साल 2013 के अनुबंध कृषि अधिनियम को राज्य विधानसभा में पारित कर किसानों की पीठ में छुरा घोंपने के आरोप से वे पीछा नहीं छुड़ा सकते।
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