पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) पर भी निशाना साधते हुए कहा कि एसजीपीसी बादल परिवार के हाथ में कठपुतली बनकर 550वें प्रकाश पर्व का मजाक बना रहा है। उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से ऐसे सभी कार्यक्रम हमेशा राज्य सरकार की अगुवाई में ही मनाए जाते रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि लेकिन अकाली दल सरकार के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को समर्थन देने से इनकार कर सिखों में फूट डालने की कोशिश कर रहा है।
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि जब गुरु ग्रंथ साहिब का 400 पर्व मनाया गया था तो सारे कार्यक्रम उस समय की सरकार ने ही आयोजित किए थे। इसी तरह बाकी सारे ऐतिहासिक धार्मिक कार्यक्रम भी राज्य सरकारें ही करती रही हैं।
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अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने हर तरह से एसजीपीसी को इस समारोह में संयुक्त रूप से शामिल कराने की कोशिश की, लेकिन स्पष्य हो गया है कि यह धार्मिक संस्था अकाली दल के हाथों की कठपुतली बनी हुई है। मुख्यमंत्री ने एसजीपीसी के उन आरोपों का भी जवाब दिया जिनमें कहा गया था कि सरकार ने इस ऐतिहासिक मौके की भरपूर तैयारी नहीं की है। अमरिंदर सिंह ने कहा कि सारी भव्य तैयारियां हो चुकी हैं और पंजाब में जिस तरह इस पर्व को मनाया जाएगा, वह लोग जीवन भर या रखेंगे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस दौरान पाकिस्तान से सतर्क रहने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि करतारपुर साहिब कॉरिडोर को लेकर पाकिस्तान का जो रवैया रहा है उससे सतर्क रहने की जरूरत है। गौरतलब है कि सिख समुदाय बीते 70 साल से करतारपुर साहिब कॉरीडोर खोले जाने की मांग करता रहा है, लेकिन अचानक पाकिस्तान द्वारा इस मांग को मान लेना दिखाता है कि उसकी मंशा कुछ और ही है। इस बहाने वह सिखों में दरार डालना चाहता है।
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उन्होंने कहा कि हालांकि पाकिस्तान इस धार्मिक मौके पर कुछ भी खुराफात करने का दुस्साहस नहीं कर सकता, फिर उन्होंने सीमावर्ती राज्य होने के नेता एहतियात बरते जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह अलर्ट है और हर चीज़ पर गहरी नजर रखी जा रही है।
गौरतलब है कि करतारपुर साहिब कॉरिडोर का उद्घाटन 9 नवंबर को होना है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक में जनसभा करेंगे। करतारपुर साहिब को वैसे गुरुद्वारा दरबार साहिब के नाम से जाना जाता है और सिख समुदाय में इसकी बहुत मान्यता है। इस जगह पर गुरुनानक देव ने अपने जीवन के 18 वर्ष गुजारे थे और यहीं उनकी समाधि भी है।
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