तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने नीटी और यूजीसी-नेट परीक्षाओं में अनियमितताओं के मुद्दे पर घिरी मोदी सरकार पर जोरदार हमला करते हुए रविवार को कहा कि नीट-पीजी और यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द करना एक बार की घटना नहीं है, बल्कि यह केंद्रीकृत चयन की अक्षम और खस्ताहाल प्रणाली के ताबूत में आखिरी कील है।
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स्टालिन की पार्टी द्रविड मुनेत्र कषगम (डीएमके) सामाजिक न्याय के अलावा अन्य आधारों पर राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) का विरोध करती रही है। उन्होंने स्कूली शिक्षा को करियर का आधार बनाने के लिए संयुक्त प्रयासों का आह्वान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीट-पीजी को रद्द करने से हजारों डॉक्टर ‘‘गहरी निराशा’’ में फंस गए हैं।
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उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘हमें यह तथ्य नहीं भूलना चाहिए कि ये घटनाएं एक बार की घटना नहीं है, बल्कि केंद्रीकृत चयन की अक्षम और खस्ताहाल प्रणाली के ताबूत में आखिरी कील है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि यह घोटाला उजागर हो रहा है, इसलिए हमें बेहतर भविष्य के लिए योजना बनानी चाहिए। व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए निष्पक्ष और न्यायसंगत चयन प्रक्रिया बनाने, स्कूली शिक्षा की प्राथमिकता सुनिश्चित करने, इसे करियर का आधार बनाने और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए चयन प्रक्रिया निर्धारित करने को लेकर राज्यों के अधिकारों को बहाल करने के संबंध में हाथ मिलाना चाहिए।’’
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सत्तारूढ़ डीएमके के प्रमुख ने कहा कि ‘‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे छात्रों और उनके परिवारों के मन में आशा और विश्वास को फिर से बहाल करना चाहिए।’’ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा था कि उसने कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता पर हाल में लगे आरोपों के मद्देनजर ‘‘एहतियाती कदम’’ के रूप में रविवार को होने वाली नीट-पीजी प्रवेश परीक्षा को स्थगित करने का फैसला किया है।
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