कैंब्रिज एलानिटिका वह कंपनी है जिस पर आरोप हैं कि उसने दुनिया के कई देशों में हुए चुनावों में चोरी का डाटा इस्तेमाल कर मतदाताओं को प्रभावित किया। यूके और यूएस की अदालतों में कंपनी बंद करने की अर्जी डालने वाली कैंब्रिज एनालिटिका ने हालांकि किसी भी तरह का गलत काम करने से इनकार किया है। उसका कहना है कि निगेटिव मीडिया कवरेज से उसके सभी क्लाइंट्स चले गए। एनालिटिका पर आरोप हैं कि उसने फेसबुक से डाटा चुराया और अमेरिकी चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प को मदद पहुंचाई।
Published: 03 May 2018, 9:33 AM IST
कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा, "कैंब्रिज एनालिटिका के भरोसे के बावजूद हमारे कर्मचारियों ने नैतिक और कानूनी रूप से सही काम किया। लेकिन मीडिया के गलत कवरेज से हमारे कस्टमर्स और सप्लायर्स दूर होते चले गए। नतीजतन हमने फैसला लिया है कि अब एनालिटिका का कारोबार लंबे समय तक चलाना मुश्किल होगा।"
Published: 03 May 2018, 9:33 AM IST
गौरतलब है कि फेसबुक ने कहा था कि इस कंपनी या इस जैसी कंपनियों ने फेसबुक पर सक्रिय करीब 8 करोड़ 70 लाख लोगों के डेटा तक एक ऐप के जरिए पहुंच बनाई और फिर इस डाटा को एक राजनीतिक सलाह देने वाली कंपनी को दे दिया गया। सोशल नेटवर्किंग साइट ने ये भी कहा कि उनकी खुद की जांच जारी रहेगी।
कैंब्रिज एनालिटिका ने कहा है कि, "कंपनी बंद करने के फैसले से हमारी प्रतिबद्धताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हम भरोसा दिलाते हैं कि ऐसा दोबारा नहीं होगा। हमारी पेरेंट कंपनी एससीएल इलेक्ट्रॉनिक्स भी दिवालिया घोषित हो चुकी है। इससे भारत के ऑपरेशंस पर भी असर पडे़गा।"
कैंब्रिज एनालिटिका के इस फैसले से सवाल होता है कि क्या इससे उसके खिलाफ चल रही जांच पर असर पड़ेगा। कैंब्रिज एनालिटिका के खिलाफ ब्रिटेन की संसदीय समिति जांच कर रही है। समिति के अध्यक्ष डेमियन कॉलिंस ने कहा, "कंपनी ने जो किया, उसके लिए उनकी गंभीर जांच हो रही है। अगर एनालिटिका ने खुद के बंद करने का फैसला किया है तो भी जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा।"
Published: 03 May 2018, 9:33 AM IST
डाटा चोरी करने का कैंब्रिज एनालिटिका का तरीका थोड़ा अनूठा था। 2013 में अमेरिका में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता अलेक्जेंडर कोगन ने पर्सनैलिटी क्विज ऐप बनाया। फिर ऐप को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग फेसबुक वॉल पर पुश करवाया। जब लोगों ने उस ऐप को डाउनलोड करना चाहा तो यूजर्स को फेसबुक के जरिए लॉग-इन करना पड़ा था। ऐसा करते वक्त ऐप यूजर का डेटा एक्सेस करने की अनुमति मांगी जाती थी। इससे हुआ यह कि धीरे-धीरे ऐप के जरिए 5 करोड़ यूजर्स की फेसबुक प्रोफाइल की पूरी जानकारी कोगन तक पहुंच गई।
कोगन ने यह डेटा कैंब्रिज एनालिटिका को दे दिया। उस वक्त कैंब्रिज एनालिटिका राष्ट्रपति चुनाव के लिए ट्रम्प का प्रचार अभियान संभाल रही थी। जब उसके हाथ 5 करोड़ अमरीकियों की जानकारी लगी तो कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक पर इन अमरीकियों की आदतें आदि का अध्ययन किया। इससे उसे पता चल गया कि कौन क्या पसंद करता है। फिर उसी हिसाब से US के फेसबुक यूजर्स को 5 कैटेगरी में बांटा गया। इसके बाद कैब्रिज एनालिटिका, यूजर्स की एफबी वॉल पर उनकी पसंद से जुड़े कंटेट भेजने लगी। जैसे अगर किसी ने 10 साल में अपनी वॉल पर सबसे ज्यादा जॉब को लेकर स्टेटस डाला तो उसे ट्रम्प के जॉब से जुड़े चुनावी वादे भेजे गए। इसके अलावा यूजर्स को प्रभावित करने के लिए फेक न्यूज का भी इस्तेमाल करने का आरोप है। नतीजा ये हुआ कि चुनाव में ट्रम्प की जीत हुई।
Published: 03 May 2018, 9:33 AM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 03 May 2018, 9:33 AM IST