कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कोलकाता में 2009 में विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार पाकिस्तानी आतंकवादी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। जस्टिस देबांगसु बसाक और शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने मार्च 2021 के ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें पाकिस्तानी निवासी शहबाज इस्माइल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
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18 मार्च 2009 को कोलकाता पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स के अधिकारियों ने 27 वर्षीय इस्माइल को गिरफ्तार किया, उस समय वह श्रीनगर जाने के लिए कोलकाता में रेलवे टिकट काउंटर से टिकट खरीद रहा था। वह राज्य के मुर्शिदाबाद जिले के निवासी मोहम्मद जमील के फर्जी पहचान के साथ कोलकाता में रह रहा था।
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उसके कब्जे से एसटीएफ ने नकली ड्राइविंग लाइसेंस, फर्जी ईपीआईसी कार्ड, बांग्लादेशी सिम कार्ड के साथ एक मोबाइल फोन, विस्फोटक, उसके स्थानीय संपर्कों के नाम और नंबर वाले दस्तावेज और विस्फोटक तैयार करने के तरीके के दस्तावेजों बरामद किए।
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उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और विस्फोटक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। जांच के दौरान एसटीएफ के अधिकारियों को पता चला कि इस्माइल को 2007 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में हरकत-उल-मुजाहिदीन के प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षित किया गया था। वहां उसे विस्फोटक बनाने के अलावा एके-47, रॉकेट लॉन्चर और हैंड ग्रेनेड जैसी हाई-एंड ऑटोमैटिक राइफल चलाने का प्रशिक्षण दिया गया।
मार्च 2021 में, कोलकाता की ट्रायल कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
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