राफेल डील में लगातार हो रहे नए खुलासे के बीच सीएजी की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश कर दी गई है। इस दौरान कांग्रेस ने जेपीसी से जांच कराने की मांग को लेकर हंगामा किया। लोकसभा में कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है ताकि राफेल डील पर सदन का ध्यान आए।
खड़गे ने आगे कहा कि राफेल डील में 30 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है और पीएम मोदी सीधे तौर पर इसमें शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि राफेल डील को छुपाने के लिए कोशिश चल रही है, पीएम मोदी को जेपीसी जांच के लिए तैयार रहना चाहिए। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जेपीसी जांच कराने का कोई औचित्य नहीं बनता है। गृहमंत्री के बयान के बाद खड़गे ने कहा कि हम साबित करके दिखाएंगे कि इस डील में घोटाला हुआ है, अगर ऐसा नहीं कर पाए तो आप कुछ भी कर लीजिएगा। खड़गे के बयान के बाद कांग्रेस सांसदों ने विरोध स्वरूप सदन से वॉकआउट किया।
दरअसल, सुबह सदन की बैठक शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू कराया। कांग्रेस के सदस्यों ने राफेल विमान सौदे में जेपीसी से जांच कराने की मांग करते हुए आसन के समीप आकर नारेबाजी की। इस दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने पिछले दिनों एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित राफेल मामले से संबंधित खबर की प्रतियां सदन में दिखाया।
इससे पहले सीएजी ने राफेल पर विस्तृत रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी थी। कुछ हफ्ते पहले ही रक्षा मंत्रालय ने राफेल डील से जुड़े जवाब सीएजी को सौंपे थे, जिसमें खरीद प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी दी गई थी।
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इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल सौदे में प्रेस कांफ्रेंस कर पीएम मोदी पर सीधा हमला बोला। कैग की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने मीडिया से कहा, ‘‘यह ‘चौकीदार ऑडिटर जनरल’ की रिपोर्ट है। यह नरेंद्र मोदी की रिपोर्ट है। रिपोर्ट चौकीदार के लिए, चौकीदार के कहने पर, चौकीदार द्वारा लिखी गई है।”
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इससे पहले कैग की रिपोर्ट को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को कुछ सवाल उठाए। उन्होंने इस मामले में हितों के टकराव की बात उठायी है। सिब्बल ने कहा था, “मौजूदा कैग राजीव महर्षि सौदे के समय वित्त सचिव थे और इस सौदे से जुड़े थे। ऐसे में उन्हें इसकी ऑडिट से अपने को अलग कर लेना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा था कि महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे। इसी बीच में प्रधानमंत्री मोदी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस गए और राफेल सौदे पर हस्ताक्षर की घोषणा की।”
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