वैसे तो प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) भारत सरकार की संस्था है और इसका काम सरकार के सभी मंत्रालयों के कामकाज का प्रचार-प्रसार करना है। लेकिन पिछले 9 महीने के आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि मोदी सरकार में पीआईबी का काम सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का ही प्रचार करना है। सबसे दिलचस्प स्थिति तो विदेश मंत्रालय से जुड़े मामलों में देखने को मिली, जहां पीआईबी ने विदेश मामलों से जुड़े मुद्दों पर भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को दरकिनार कर पीएम मोदी का ही प्रचार किया।
मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान पीआईबी द्वारा जारी विज्ञप्तियों और तस्वीरों के अध्ययन से पता चलता है कि यह संस्था सरकार बनाम प्रधानमंत्री के प्रचार के बीच कशमकश कर रही है। इस दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए तो पीआईबी की अतिसक्रियता दिखती है, लेकिन विदेश मामलों में भी इसकी सक्रियता विदेश मंत्री को पूरी तरह नजरअंदाज कर केवल पीएम मोदी के लिए ही दिखती है, जो कई सवाल खड़े करता है।
मीडिया स्टडीज ग्रुप के अध्ययन के अनुसार आंकड़ों की समीक्षा से पता चला कि पीआईबी द्वारा जनवरी 2018 से 23 सितंबर 2018 तक प्रधानमंत्री से जुड़ी 542 विज्ञप्तियां जारी की गईं, जबकि इसी दौरान विदेश मंत्रालय की सिर्फ 9 विज्ञप्तियां जारी की गईं। खास बात ये है कि पीआईबी द्वारा पिछले दो वर्षों में विदेश मंत्रालय की तरफ से एक भी वीडियो जारी नहीं किया गया है। वहीं पीआईबी के फोटो डिविजन ने विदेश मंत्रालय की ओर से विभिन्न कार्यक्रमों और अवसर के 42 फोटो जारी किये हैं, लेकिन उनमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की केवल चार तस्वीरें ही हैं।
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मीडिया स्टडीज ग्रुप ने पीआईबी की हिंदी बेबसाइट पर उपलब्ध ब्यौरे के आधार पर इस तथ्य का उल्लेख किया है कि संस्था द्वारा प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं का प्रेस वक्तव्यों, भाषणों और फोटो आदि के जरिये प्रचार किया गया। अनेक राज्यों में प्रधानमंत्री की यात्राओं का भी उचित प्रचार किया गया। प्रधानमंत्री के फोटो प्रचार के लिए उनकी 4067 तस्वीरें जारी की गईं। इस इकाई की ओर से कुल 1190 प्रेस विज्ञप्तियां जारी की गईं। इनमें 852 प्रेस विज्ञप्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय से संबंधित थीं। लेकिन दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय के लिए प्रेस विज्ञप्तियों, विदेश मंत्री की तस्वीरों, विदेश मंत्री के वीडियो आदि जारी करने में पीआईबी की भूमिका सवालों के घेरे में है। पिछले दो सालों के दौरान तो विदेश मंत्रालय का एक भी वीडियों जारी नहीं किया गया।
भारत सरकार की संस्था पीआईबी ने विदेश मामलों पर विदेश मंत्रालय की ओर से जो विज्ञप्तियां जारी की हैं, उनपर गौर करें तो पाएंगे कि ज्यादातर विज्ञप्तियां केंद्रीय कैबिनेट के किन्हीं विषयों को मंजूरी देने के फैसलों से जुड़ी हैं। इनमें विदेश मंत्री की पहल को जाहिर करने वाली एक भी विज्ञप्ति शामिल नहीं है।
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केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद प्रचार के काम का केंद्रीकरण करने की नीति सक्रिय है। घोषित नीति के तौर पर पीआईबी के बारे में दावा किया जाता है कि वह भारत सरकार के प्रधान मंत्री समेत विभिन्न मंत्रालयों और उससे जुड़े विभागों और संस्थानों के काम के प्रचार-प्रसार के लिए समान रूप से काम करता है। लेकिन पीआईबी के कामकाज की समीक्षा से पता चलता है कि यह संस्था सरकार बनाम प्रधानमंत्री के प्रचार के बीच कशमकश कर रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए पीआईबी की अति सक्रियता को सर्वाधिक दिखती है लेकिन प्रधानमंत्री के विदेश दौरे के दौरान पीआईबी के अधिकारियों को ले जाने की परंपरा इस दौरान लगभग समाप्त कर दी गई है। विदेश मंत्रालय के कामकाज के प्रचार के लिए भी पीआईबी में वरिष्ठ अधिकारी के बजाय एक कनीय अधिकारी को तैनात किया गया है।
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