राजस्थान की अलवर और अजमेर लोकसभा सीट और मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी को हराकर कांग्रेस ने भारी जीत दर्ज की है। जबकि, पश्चिम बंगाल की एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने बड़े भारी अंतर से जीत लिया।
राजस्थान में सुबह से ही दोनों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस बढ़त बनाए हुए थी। मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर शुरुआत में कांटे की टक्कर के बाद कांग्रेस प्रत्याशी ने बीजेपी उम्मीदवार पर निर्णायक बढ़त बनाई और अंत में जीत दर्ज की। अजमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रघु शर्मा ने बड़ी जीत दर्ज की है। उन्होंने यहां से बीजेपी के रामस्वरुप लांबा को चुनाव हराया है। लांबा दिवंगत बीजेपी नेता सांवर लाल जाट के बेटे हैं, जिनके निधन से यह सीट खाली हुई थी। अजमेर को बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है, क्योंकि बीते 8 लोकसभा चुनावों में 6 बार यहां से बीजेपी ने जीत हासिल की है। कद्दावर जाट नेता रहे सांवरलाल जाट की मौत के बाद इस सीट पर उपचुनाव की घोषणा के बाद माना जा रहा था कि सचिन पायलट ही यहां से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, पायलट ने रघु शर्मा को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी के किले में बड़ी सेंध लगा दी। रघु शर्मा अजमेर जिले के एक छोटे से गांव सावर के रहने वाले हैं। उन्होंने एलएलबी और एमबीए के साथ ही पीएचडी की भी शिक्षा ली है।
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राज्य की अलवर लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली। यहां से डॉ. करण सिंह यादव ने बीजेपी के जसवंत यादव को बड़े अंतर से हरा दिया। करण सिंह इससे पहले भी अलवर से एक बार सांसद और बहरोड़ से दो बार विधायक रह चुके हैं। करण सिंह पेशे से एक डॉक्टर हैं, जो राजनीति में आने से पहले राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएस के अधीक्षक रह चुके हैं। वे कांग्रेस पार्टी से 14वीं लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
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उपचुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन पर खुशी जताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि जनता का आशिर्वाद कांग्रेस के साथ है। पायलट ने कहा, “ 4 साल में केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारों ने कोई काम नहीं किया। बीजेपी सिर्फ धर्म के नाम पर तुष्टीकरण करती है।” सचिन पायलट ने कहा, “राजस्थान की जीत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को तोहफा है।” वहीं, मांडलगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी विवेक धाकड़ ने बीजेपी के शक्ति सिंह हाड़ा को 12 हजार 976 मतों से हराकर जीत दर्ज की। शुरुआती कुछ राउंड में बीजेपी के प्रत्याशी को यहां बढ़त थी, लेकिन अंतिम राउंड में मिले निर्णायक बढ़त की बदौलत कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज कर ली।
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वहीं, पश्चिम बंगाल की उलूबेरिया लोकसभा और नवापाड़ा विधानसभा सीट पर टीएमसी ने जीत हासिल की है। यहां भी बीजेपी को करारी हार मिली है। हालांकि, दोनों ही सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। उलूबेरिया लोकसभा सीट से टीएमसी उम्मीदवार साजिदा अहमद ने बीजेपी उम्मीदवार अनुपम मलिक को बड़े अंतर से हरा दिया। यह सीट टीएमसी सांसद सुल्तान अहमद के निधन से खाली हुई थी। टीएमसी ने उनकी पत्नी साजिदा अहमद को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया था।
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वहीं, नवापाड़ा विधानसभा सीट पर भी टीएमसी ने भारी मतों से जीत दर्ज की है। हालांकि, यहां बीजेपी के उम्मीदवार संदीप बनर्जी का प्रदर्शन भी अच्छा रहा। यहां से टीएमसी के सुनील सिंह को 1,11,729 वोट मिले, जबकि दूसरे स्थान पर रहे बीजेपी के बनर्जी को 38,711 वोट मिले।
पश्चिम बंगाल में जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस ने ट्वीट कर लोगों का आभार जताया। टीएमसी ने ट्वीट कर कहा, "तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने के लिए आप सभी का शुक्रिया। उपचुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि पश्चिम बंगाल में विभाजनकारी राजनीति की कोई जगह नहीं है।"
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निश्चित तौर पर उपचुनाव में प्रदर्शन को लेकर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में खुशी की लहर है। लेकिन पश्चिम बंगाल के ये परिणाम टीएमसी के साथ-साथ बीजेपी के लिए भी सुखद माने जाएंगे। क्योंकि दोनों सीटों पर सीपीएम को पीछे धकेलकर बीजेपी नंबर दो की पार्टी बनकर उभरी है। 2011 में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने लंबे समय बाद सीपीएम को बंगाल की सत्ता से बेदखल किया था। लेकिन, अब धीरे-धीरे बीजेपी राज्य में अपनी जमीन बनाने में कामयाब होती जा रही है। पिछले साल अगस्त में नगर निगम के चुनाव के नतीजों में भी ज्यादातर जगहों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी। सीपीएम और कांग्रेस को बंगाल में लगातार नुकसान हो रहा है और इसका फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को जा रहा है।
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