कांग्रेस ने कोरोना संकट से निपटने और लॉकडाउन से जुड़ी रणनीति को लेकर बुधवार को मोदी सरकार से सवाल किया। कांग्रेस ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार ऑटो पायलट पर चल रही है और सिर्फ जनता को गुमराह कर रही है।
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोरोना संकट में लॉकडाउन के दौरान बरगलाना, बहकाना, असहिष्णुता, असंवेदनशीलता इस सरकार का पर्याय बन चुके हैं। उन्होंने कहा, “बिना योजना के आनन फानन में अचानक घोषित किए गए लॉकडाऊन के प्रति भारत का अनुभव इसके बिल्कुल उलट रहा। क्या सरकार ऑटो पायलट पर चल रही है? क्या सरकार बिना खेद या पश्चाताप के लोगों को गुमराह कर रही है? क्या यह व्यक्तिगत लोगों तक सीमित कंसल्टेशन प्लेटफॉर्म है और अपने खुद के टास्क फोर्स के सदस्यों को भी बाईपास करता है?”
उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस के संकट के समय विभिन्न समितियों एवं कार्यबल को दरकिनार किया जा रहा है और सिर्फ एक व्यक्ति के स्तर पर फैसले हो रहे हैं।
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उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार में कोई संवेदनशीलता और क्षमता नहीं है। यह इस सरकार की पहचान बन गयी है। सिर्फ 3 मई से 18 मई के बीच मामले 28 हजार से एक लाख से ऊपर पहुंच गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि 25 मार्च को देश में कोविड-19 के 618 मामले थे जो तीन मई तक 28070 और 18 मई तक 257 प्रतिशत की दर से एक लाख तक पहुंच गए। इसी तरह से मृतकों की संख्या इस अवधि में 3.8 प्रतिशत की दर से 13 से बढ़कर 3163 हो गयी है। उन्होंने कहा कि यही हालत जांच की है और इस संख्या में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।
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सिंघवी ने यह भी दावा किया कि कोरोना जांच के मामले में भारत अभी दुनिया के कई देशों से पीछे है और यहां प्रति हजार लोगों पर सिर्फ 1.67 जांच हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से गठित कोविड-19 कार्यबल ने आंकड़ों की बाजीगरी की है।
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उन्होंने आगे कहा, ‘‘24 अप्रैल को इस कार्यबल के प्रमुख की प्रेसवार्ता में एक ग्राफ के माध्यम से दिखाया गया कि भारत में 16 मई के बाद कोविड-19 के मामले आना बंद हो जाएंगे। यह पूरी तरह गलत साबित हुआ है। नीति आयोग ने भी इसका खंडन किया है।’’
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अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकॉनमी’ (सीएमआईई) के अनुसार 3 मई को भारत में बेरोजगारी की दर इस समय 27.1 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर है। नए आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में बेरोजगारी के आंकड़े अमेरिका के मुकाबले चार गुना ज्यादा हैं। अप्रैल में बेरोजगारी की दर 23.5 प्रतिशत थी, जो मार्च के मुकाबले 8.7 प्रतिशत ज्यादा थी।
उनके मुताबिक सीएमआईई के आंकड़े बताते हैं कि 12.2 करोड़ लोग, जिन्होंने अपनी आजीविका खो दी, उनमें 9.13 करोड़ लोग छोटे कारोबारी और मजदूर हैं। 1.78 करोड़ वेतनभोगियों एवं 1.82 करोड़ स्वरोजगारियों ने भी अपनी आजीविका खो दी।
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उन्होंने कहा, “दूसरी तरफ मेरे साथी चिदंबरम जी ने स्पष्ट कर दिया कि 20 लाख करोड़ रुपए का तथाकथित राहत पैकेज वास्तव में 2 लाख करोड़ रुपए से भी कम (जीडीपी के 0.91 प्रतिशत के बराबर) का पैकेज है, जो प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा में बहुत बढ़ाचढ़ाकर कहा गया है। सरकार ने इतनी बड़ी घोषणाएं की, लेकिन मिला क्या- खोदा पहाड़, निकली चुहिया। इस अनियोजित लॉकडाउन से देश को क्या मिला? लोग भूख से, पैदल चलते हुए मर रहे हैं।”
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उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास अभी भी इसकी कोई योजना नहीं कि हम लॉकडाऊन से बाहर किस प्रकार निकलेंगे। गालिब ने सही ही कहा था, ‘‘हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन, दिल के खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़्याल अच्छा है’’। क्या हम सबसे बुरी स्थिति में पहुंच चुके हैं?
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