उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुई हिंसा में शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहे परिजनों के लिए दीवाली पर एक और तकलीफदेह खबर आई। दरअसल रविवार को इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या में नामजद किए गए सुमित को गोरक्षक वीर बताते हुए उसके गांव चिरंगावठी में उसकी प्रतिमा स्थापित की गई। हिंसा के दौरान कथित तौर सुमित पुलिस की गोली का गोली शिकार हुआ था। बुलंदशहर हिंसा के एक वीडियो में वह पुलिस पर पथराव करते हुए देखा जा सकता है।
चिरंगावठी गांव में रविवार को सुमित की मूर्ति की स्थापना के समय उसके परिवार, रिश्तेदार और कुछ गांव वाले भी शामिल हुए। इस दौरान उसकी कथित वीरता का गुणगान भी हुआ। सुमित के पिता अमरजीत सिंह दलाल ने कहा कि उन्हें उनके बेटे पर गर्व है। वो गोरक्षा करते हुए शहीद हुआ है। इसलिए उन्होंने उसकी प्रतिमा की स्थापना की है। मगर वो सरकार के रवैये से नाराज हैं। गांव के लोग सुमित के लिए 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम यह भी चाहते हैं कि सुमित को शहीद का दर्जा दिया जाए। पुलिस उसे बवाली बताकर हमारे सम्मान को ठेस पहुंचा रही है। अगर हमारी सुनवाई नहीं हुई तो हम 3 दिसंबर को धर्म परिवर्तन कर लेंगे।”
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हत्यारोपी के सम्मान की खबर पर शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पत्नी रजनी ने बेहद दुःख जताया है। उनके अनुसार उनके घर दिवाली की खुशियां भी नहीं हैं, क्योंकि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अब जब उनके हत्यारों का जेल से बाहर आने पर स्वागत किया जाता है, नारे लगाए जाते हैं तो वह मानसिक रूप से इन सबके लिए दृढ़ हो चुकी हैं और इस तरह की किसी भी खबर से वो बहुत अधिक विचलित नहीं होतीं। उन्होंने कहा कि यह तो देश के इंसाफ पसंद लोगों को समझना चाहिए कि समाज कहां पहुंच चुका है। अब कोई भी पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी के दौरान अपनी जान को जोखिम में डालने से पहले कई बार सोचेगा।
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गौरतलब है कि पिछले साल 1 से 3 दिसंबर तक बुलंदशहर में मुसलमानों के एक बहुत बड़े धार्मिक जलसे (इजतीमा) का आयोजन था। उसी दौरान 3 दिसंबर की सुबह महाब गांव के जंगलों में गौवंश के अवशेष पाए जाने के बाद उग्र हुए स्थानीय लोगों ने चिरंगावठी पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था। उग्र भीड़ के तेवर देख अधिकतर पुलिसकर्मी जान बचाकर भाग खड़े हुए थे। लेकिन स्याना के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह बहादुरी से डटे रहे और इस दौरान वो शहीद हो गए। इस दौरान भीड़ में शामिल एक स्थानीय युवक सुमित की भी गोली लगने से मौत हो गई थी।
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सुमित के परिजनों का दावा था कि उसकी मौत पुलिस की गोली से हुई है। घटना के बाद से ही सुमित का परिवार उसे शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहा है। राज्य सरकार ने मामले की जांच एसआईटी को दी थी। जिसमें गोकशी के 11 और बवाल करने में शामिल 44 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। हालांकि उनमे से अधिकतर जमानत पर बाहर आ चुके हैं। इनमें बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज और भारतीय जनता युवा मोर्चा का नगर संयोजक शिखर अग्रवाल जैसे नाम भी शामिल हैं।
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