वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया। विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर ‘कॉपी-पेस्ट’ और ‘सरकार बचाओ’ बजट पेश करने का आरोप लगाया और कहा कि इसमें नौजवानों, किसानों तथा विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों की अनदेखी की गई है।
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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसे ‘कुर्सी बचाओ’ बजट करार देते हुए कहा है कि इसमें अन्य राज्यों की कीमत पर बीजेपी के सहयोगियों (सहयोगी दलों) के लिए खोखले वादे किये गये हैं। उन्होंने कहा कि AA को लाभ देने की कोशिश की गई है लेकिन आम भारतीयों को कोई राहत नहीं दी गई है। उन्होंने मोदी सरकार 3.0 के बजट को कॉपी और पेस्ट करार देते हुए कहा कि इसे कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र और पिछले बजट्स की नकल करार दिया।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हां, बस “बदला लो” और “सरकार बचाओ”बजट ज़रूर है, देश का क्या होगा, फिर देखा जाएगा।
👉 यू.पी ने लोकसभा में हराया तो यू.पी नाम का शब्द ही बजट से हटा दिया।
👉 महाराष्ट्र हारे तो महाराष्ट्र का नाम काट दिया।
👉 हरियाणा हारे तो हरियाणा के अस्तित्व से ही मुँह मोड़ लिया।
👉 राजस्थान में कांग्रेस ने अच्छा किया तो राजस्थानियों को भी बजट में शून्य।
👉 कर्नाटक व तेलंगाना में कांग्रेस सरकार है तो ऐसे किया जैसे वो भारत का हिस्सा ही नहीं।
👉 बिहार और आन्ध्रप्रदेश को भी पाँच साल की लम्बी योजना में डाल दिया ताकि न कुछ मिले, बस उम्मीद रहे और समर्थन चलता रहे। बाद में दूध से मक्खी तरह निकालेंगे।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें इस बात की खुशी हुई है कि लोकसभा चुनाव के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्य विपक्षी दल का घोषणापत्र पढ़ा।
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मुझे यह जानकर खुशी हुई कि माननीय वित्त मंत्री ने चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस का लोकसभा 2024 का घोषणापत्र पढ़ा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि उन्होंने कांग्रेस घोषणापत्र के पृष्ठ 30 पर उल्लिखित रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन (ईएलआई) को वस्तुतः अपना लिया है।’’
उनका कहना है, ‘‘मुझे इस बात की भी खुशी है कि उन्होंने कांग्रेस घोषणापत्र के पृष्ठ 11 पर उल्लिखित प्रत्येक प्रशिक्षु के लिए भत्ते के साथ-साथ प्रशिक्षुता योजना भी शुरू की है। काश, वित्त मंत्री ने कांग्रेस घोषणापत्र में कुछ अन्य विचारों की भी नकल की होती।’’
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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्रीय बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए की गई घोषणाओं को ‘सरकार बचाने’ का प्रयास करार दिया और आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों और नौजवानों के साथ पूरे देश की अनदेखी की है। उन्होंने यह भी कहा कि देश का नौजवान आधी-अधूरी नहीं, बल्कि पक्की नौकरी चाहता है। अखिलेश यादव ने सवाल किया, ‘‘उत्तर प्रदेश, जो प्रधानमंत्री देता है, क्या वहां के किसानों के लिए भी कुछ बड़े फैसले हैं?’’
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बीएसपी की अध्यक्ष और उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मंगलवार को संसद में पेश केन्द्रीय बजट को 'अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा बताया है।मायावती ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ''संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर और धन्ना सेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों और उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति हेतु ’अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा है!''
अपने सिलसिलेवार पोस्ट में मायावती ने कहा ''देश में छाई जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन तथा यहां के 125 करोड़ से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति इस नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव है।'' उन्होंने सवाल उठाया, ''बजट में ऐसे प्रावधानों से क्या लोगों का जीवन खुशहाल हो पाएगा?''
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तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा कि बजट में पश्चिम बंगाल के लिए कुछ भी नहीं है और यह भारत के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए पेश किया गया बजट है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने यह दावा भी किया कि यह ‘‘कुर्सी बचाओ बजट’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘इस बजट का उद्देश्य (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी की स्थिति को बचाना है। यह एनडीए के लिए बजट है, भारत के लिए नहीं है।’’
झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ मांझी ने आरोप लगाया कि यह निराशाजनक बजट है।उन्होंने कहा, ‘‘इस बजट में आदिवासियों के रोजगार के लिए, उनका पलायन रोकने के लिए और आदिवासी महिलाओं की तस्करी को रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया।’’
शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि इस बजट को ‘प्रधानमंत्री सरकार बचाओ योजना’ कहा जाना चाहिए। उन्होंने यह दावा भी किया, ‘‘इसमें महाराष्ट्र के लिए कुछ भी नहीं था। यह राज्य केंद्र को पैसा देने के लिए दुधारू गाय बना रहेगा, लेकिन राज्य के विकास के लिए पैसा नहीं दिया जाएगा।’’
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