वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को बजट पेश किया। आम चुनाव से पहले मौजूदा सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट था। एक ओर जहां बजट को सत्तापक्ष ने अमृतकाल की मजबूत आधारशिला रखने वाला बताया है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे ‘मित्र काल’ का बजट करार देते हुए मोदी सरकार पर कटाक्ष किया है।
राहुल गांधी ने लिखा "मित्र काल बजट में... न तो नौकरियां पैदा करने के लिए कोई विजन है और न ही महंगाई से निपटने की कोई योजना है। असमानता को दूर करने का कोई इरादा भी बजट में नहीं है।
Published: undefined
राहुल गांधी ने लिखा कि 1% सबसे अमीर 40% संपत्ति के मालिक हैं, 50% सबसे गरीब 64% जीएसटी का भुगतान करते हैं, 42% युवा बेरोजगार हैं- फिर भी, पीएम को परवाह नहीं है। यह बजट साबित करता है कि भारत के भविष्य के निर्माण के लिए सरकार के पास कोई रोडमैप नहीं है।
Published: undefined
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लाकार्जुल खड़गे ने बजट को लेकर कहा कि चुनाव को ध्यान रखकर बनाया गया मोदी सरकार का बजट जनता का बीजेपी पर लगातार गिरते विश्वास का सबूत है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लाकार्जुल खड़गे ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर बजट पर प्रतिक्रया दी है। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार का बजट जनता का, बीजेपी पर लगातार गिरते विश्वास का सबूत है! ये केवल चुनाव को ध्यान रखकर बनाया बजट है, देश को ध्यान में रखकर नहीं! इस बजट में भयंकर बेरोज़गारी का हल ढूंढ़ने की कोई भी कोशिश नहीं की है! बजट में ऐसा कुछ नहीं है जिससे रोज़मर्रा की वस्तुओं के दामों में कोई भी कमी आये। आटा, दाल, दूध, रसोई गैस- सबका दाम बढ़ाकर मोदी सरकार ने देश को लूटा है!”
एक अन्य ट्वीट में खड़गे ने कहा, “इस बजट में दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए कुछ भी नहीं है। उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए एक भी क़दम नहीं है। मनरेगा का बजट ₹38,468 करोड़ कम कर दिया। तो ग़रीबों का क्या होगा? शिक्षा और स्वास्थ्य बजट में कोई बढ़ावा नहीं है। कमी है।” उन्होंने आगे कहा कि “किसान विरोधी, नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के लिए बजट में कुछ नहीं दिया है। 2022 में किसानों की आय डबल करने का वादा किया था, उसको पूरा क्यों नहीं किया? MSP गारंटी कहां है? किसानों की अनदेखी चालू है!” (पूरी खबर यहां पढ़ें)
Published: undefined
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि, “आज (बुधवार को) 2023-24 का जो बजट पेश किया गया और वित्त मंत्री का बजट भाषण साफ बताता है कि यह सरकार लोगों और उनके जीवन, उनकी आजीविका और अमीर-गरीब के बीच बढ़ती असमानता और उनकी चिंताओं से कितनी दूर है।“
उन्होंने कहा कि, “मुझे खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहीं भी बेरोजगारी, गरीबी, असमानता या समानता जैसे शब्दों का उल्लेख नहीं किया है। हां दो बार उन्होंने अपने भाषण में गरीब शब्द का उल्लेख किया है। मुझे विश्वास है कि भारत की जनता इस बात का ध्यान रखेगी कि कौन सरकार के सरोकार में है और कौन नहीं।“ (पूरी खबर यहां पढ़ें)
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined