कोरेगांव-भीमा मामले में प्रमुख आरोपियों में से एक पी. वरवरा राव को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल ट्रीटमेंट के आधार पर छह महीने की जमानत दे दी है। उनकी जमानत पर यह आदेश एक खंडपीठ द्वारा पारित किया गया, जिसमें न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पितले शामिल थे। इन्होंने 82 वर्षीय बीमार राव के दो अलग-अलग मसलों पर विचार किया।
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एक क्रांतिकारी लेखक और वामपंथी विचारधारा वाले राव को पहली बार 28 अगस्त, 2018 को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा था, जिसे उनके और उनके परिवार ने नकारा।
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कोर्ट ने कहा कि वरवर राव को मुंबई में ही रहना होगा। उन्हें अपने रहने वाले स्थान की जानकारी मुहैया करानी होगी। ट्रायल के दौरान जब भी बुलाया जाएगा, उन्हें उपस्थित रहना होगा। वह व्यक्तिगत राहत के लिए आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि वह निकटतम पुलिस स्टेशन में व्हाट्सएप वीडियो कॉल कर सकते हैं और अपनी उपस्थिति के बारे में बता सकते हैं। एल्गार परिषद मामले में यह पहली जमानत है।
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असल में, भीमा कोरेगांव केस में जेल में बंद वरवर राव पिछले साल जुलाई में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। न्यायिक हिरासत में नवी मुंबई के तालोजा जेल में बंद वरवर राव को उसके बाद सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब वरवर राव के परिवार ने उनकी बिगड़ती हालत को लेकर चिंता जाहिर की थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने उन्हें नानावती अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया था।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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