जम्मू-कश्मीर में हालात को लेकर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि राज्य की स्थिति के बारे में चिंता स्वाभाविक है। शासन-प्रशासन की तरफ से पूरी नाकाबंदी है। न्यूज और संचार की पहुंच नहीं है। इसलिए कई तरह के प्रश्न उठे हैं। सरकार को हमारी सलाह है कि वो विपक्ष के नेताओं को वहां जाने दे।
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उन्होंने आगे कहा, “ कल जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने राहुल गांधी को जो निमंत्रण दिया, उसका उन्होंने जवाब दिया है। राहुल गांधी या किसी भी नेता को विशेष सुविधा की जरूरत नहीं है और न उन्हें राज्यपाल महोदय से कोई एयरक्राफ्ट चाहिए। बस उन्हें वहां जाने की छूट दी जाए। ये हमारी मांग है सरकार से, ताकि देश और दुनिया ये जान सके कि स्थिति सामान्य है, जैसा सरकार का दावा है या अगर कोई चिंताएं हैं, वो भी भारत की जनता के सामने आ सकें।”
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उन्होंने पूछा कि क्या कारण है कि विपक्ष के नेता, जिन्होंने वहां जाने का प्रयास किया उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया? आज नौंवा दिन है, भारत जैसे देश के लिए, हमारी छवि के लिए, हमारे सम्मान के लिए ये अच्छी बात नहीं है। हमारा संविधान भारत के हर नागरिक को अधिकार देता है कि जहां वो नागरिकों से अपेक्षा करते हैं कि वो कानून का पालन करें।”
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उन्होंने आगे कहा कि सरकार इस पर पहल करके राजनैतिक संवाद शुरू करे, जिसमें देश के तमाम विपक्षी दलों को विश्वास में ले। एक समूह को वहां जाने दिया जाए ताकि वहां के हालात को समझा जा सके। साथ ही, पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित जो नेता गिरफ्त में हैं, उन्हें आजाद किया जाए।
उन्होंने आगे कहा, “जिन लोगों ने भारत के संविधान में विश्वास किया है और जिनके साथ कभी केंद्र में वाजपेयी जी के समय नेशनल कॉन्फ्रेंस और मोदी जी के समय पीडीपी के साथ गठबंधन रहा हो, तो जाहिर है बीजेपी भी उन दलों को स्वीकार करती है। इसलिए बेहतर होगा कि सरकार पहल करे। अगर हिंदुस्तान के खिलाफ कोई भी बात करेगा, तो उसमें भारत की आवाज़ एक है। इसलिए कोशिश होनी चाहिए कि जो देश के खिलाफ दुष्प्रचार करें, उनको ऐसा करने का अवसर ही न दिया जाए।”
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इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि हमें देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भारी चिंता है। देश में विकास रुक गया है। आज बेरोजगारी दर 8% से ऊपर चली गई है। उन्होंने कहा, “चुनाव के बाद एक बड़ा बहुमत जो बीजेपी को मिला, ये अपेक्षा की जाती थी कि देश में एक नया वातावरण बनेगा, जिससे शिथिल जो हमारी इक्नॉमी है, उसमें जान आएगी, स्फूर्ति आएगी, वो मजबूत होगी, एक नई भावना निवेश की बनेगी, कारखानों में उत्पादन होगा, नए कारखाने लगेंगे और जो गंभीर स्थिति है रोजगार के फ्रंट पर बेरोजगारी की, जो शायद पिछले 5 दशकों के आंकड़ों से भी ऊपर चली गई, जो सबसे रिसेंट आंकड़े हमारे पास हैं, वो उनके अनुसार 8 प्रतिशत से ऊपर बेरोजगारी चली गई है।”
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उन्होंने आगे कहा, “ऑटोमोबाइल सेक्टर की हालत इतनी खराब है कि मांग और उत्पादन दोनों में कमी आई है। इसी सेक्टर में लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। पिछले एक महीने में देश में लगभग 10 लाख नौकरियां खत्म हुई है। बड़े उद्योगपतियों ने इस स्थिति को भयावह बताया है।” उन्होंने आगे कहा कि जहां सरकार का प्रचार तंत्र अन्य विषयों पर है, तो क्या कारण है कि प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और देश की सरकार देश की बदहाल आर्थिक स्थिति पर चर्चा से भाग रही है।
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उन्होंने पीएम मोदी के एक इंटरव्यू का जिक्र करते हुए कहा कि जो कल अखबारों में छपा एक अखबार में, उन्होंने स्वयं माना कि जो डिमांड है, मांग है, वो टूट गई है, मांग टूटने का मतलब, बाजार भी टूटना होता है, उत्पादन का टूटना होता है। जब देश के प्रधानमंत्री स्वयं कहते हैं, उन्होंने तो उसको उपलब्धि के रुप में दिखाया कि जहां तक कैपेसिटी यूटिलाइजेशन है उद्योग में, निर्माण में, वो 75 फीसदी है, यानि कि देश के प्रधानमंत्री स्वयं मानते हैं कि 25 प्रतिशत जो आपकी कैपेसिटी है उद्योग की, इंडस्ट्री की, उसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है।
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