उत्तराखंड के जोशीमठ में जारी भू-धंसाव को लेकर आज कांग्रेस ने बीजेपी और मोदी सरकार पर सीधा हमला बोला। कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा और उत्तराखंड के पार्टी प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि हमारा देवस्थल जोशीमठ मानव निर्मित कारणों से धंस रहा है। समाचार 3 जनवरी से आ रहें हैं, लेकिन डबल इंजन बीजेपी सरकार खासकर केंद्र की मोदी सरकार बहुत बाद में जागी है। वो भी केवल खाना पूर्ती के लिए। जोशीमठ में 610 घरों में दरारें आईं हैं, जिसमें से कुछ ही विस्थापितों को अलग शेल्टर दिया गया है और केवल 5000 रुपये का मुआवजा दिया गया है।
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पवन खेड़ा और देवेंद्र यादव ने कहा स्थानीय लोग एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रोपावर प्लांट के अंतर्गत बन रहे एक टनल को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं। एनटीपीसी ने इसको खारिज किया है। और आईआईटी रुड़की, जीएसआई आदि संस्थानों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया अभी तक व्यक्त नहीं की है। जोशीमठ के धंसने के विशेषज्ञों और पर्यावरणविद द्वारा कई कारण बताये जा रहे हैं।
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कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि इस परिपेक्ष्य में हम एक बहुत महत्वपूर्ण बात बताना चाहते हैं कि जब आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर जी डी अग्रवाल जी जिनको हम संत स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद जी के नाम से भी जानते हैं। उन्होंने 2010 में जब इन तीनों परियोजनाओं के खिलाफ उपवास रखा था, तब हमारी कांग्रेस-यूपीए सरकार ने उनकी बात को माना और तीनों परियोजनाओं पर रोक लगा दी।
पवन खेड़ा ने आगे कहा कि जब मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 2018 में प्रोफेसर जी डी अग्रवाल जी ने गंगा को बचाने और बड़े प्रोजेक्ट्स पर रोक लगवाने के लिए हरिद्वार में 111 दिन तक आमरण अनशन किया, तो मोदी सरकार ने उनकी बात नहीं मानी और उनको जबरन हिरासत में ले लिया, जिसके बाद उनकी जान चली गई। ये है कांग्रेस और बीजेपी में अंतर!
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आगे पवन खेड़ा ने कहा कि मोदी सरकार से कांग्रेस पार्टी तीन मांग करती है। इस त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करें। जोशीमठ शहर के विस्थापितों की मुआवजा राशि प्रधानमंत्री राहत कोष से दी जाए और प्रत्येक परिवार को राज्य सरकार 5000 रुपए दे और मोदी सरकार भी उचित मुआवजा दें।
दूसरा, इस मानव रचित आपदा के लिए जिम्मेदार सुरंग को बंद किया जाए। और जो बंद किये गए लोहारीनाग-पाला और पाला-मनेरी परियोजना की सुरंगें हैं, उनको भरने का कार्य उचित अध्यन के बाद तत्काल प्रभाव से शुरू किया जाए। तीसरा रेलवे का कोई भी कार्य जिसमें पर्वतीय आपदा का खतरा हो उसे बंद किया जाए। उसका गहरा अध्ययन कर ही कार्यों को चरणबद्ध तरह से मंजूरी दी जाए।
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