देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने तैयारी तेज कर दी है। विपक्षी एकता और एकजुटता के बीच बीजेपी देशभर में अपने मौजूदा सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर फिर से चुनाव जीत सकने वाले सांसदों की लिस्ट को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है।
साल 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 303 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वर्तमान में लोकसभा में बीजेपी के पास 301 सांसद हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो इनमें से 65 से ज्यादा सांसदों की रिपोर्ट कार्ड बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में एंटी-इनकंबेंसी से बचने के लिए बीजेपी इन सीटों पर अपने उम्मीदवार बदलने यानी वर्तमान सांसदों का टिकट काटने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इनमें से कुछ सांसदों का संसदीय क्षेत्र भी बदला जा सकता है।
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मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर बीजेपी ने इसी साल 30 मई से 30 जून तक देशभर में एक विशेष जनसंपर्क अभियान चलाया था, जिसमें पार्टी के सभी सांसदों को जुट जाने को कहा गया था। पार्टी के कई सांसदों ने इस कार्यक्रम में पूरे मन से हिस्सा नहीं लिया, जिसकी वजह से बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को वर्चुअली बैठक कर उन सांसदों को फटकार भी लगानी पड़ी थी। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बीजेपी संसदीय दल की बैठक में कई बार सांसदों को फटकार लगाते हुए यह कह चुके हैं कि या तो वो अपना रवैया बदलें या फिर बदले जाने के लिए तैयार रहें।
पिछले कुछ महीनों के दौरान देश भर में पार्टी संगठन द्वारा टिफिन बैठक समेत, कई अन्य महत्वपूर्ण अभियान चलाए गए, उसमें भी कई सांसद पार्टी की उम्मीद के मुताबिक, भीड़ नहीं जुटा पाए थे।
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उत्तर प्रदेश की बात करें तो, संघ नेताओं से बहुत करीबी रिश्ते रखने वाले पार्टी के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री अगर अपना प्रदर्शन नहीं सुधार पाते हैं तो इस बार पार्टी उनका टिकट भी काट सकती है। एक जमाने में काफी चर्चित रह चुके और वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री एक हाई प्रोफाइल सांसद से उनके संसदीय क्षेत्र के तमाम विधायक, मेयर और संगठन के बड़े नेता नाराज चल रहे हैं। देश के हाई प्रोफाइल परिवार से जुड़े एक बीजेपी सांसद को यह फीडबैक दे दिया गया है कि इस बार उन्हें टिकट तभी दिया जाएगा जब वह पार्टी के प्रति अपना रवैया बदलते हुए स्वयं टिकट मांगें।
2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के हाई प्रोफाइल नेताओं को हराने वाले कई सांसदों को भी इस बार अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में जाकर लोगों से संपर्क करने और स्थानीय संगठन के नेताओं से बेहतर समन्वय स्थापित करने को कहा गया है। संदेश बिल्कुल साफ है कि अगर उनकी रिपोर्ट कार्ड में सुधार नहीं हुआ तो पार्टी उनका टिकट काटने में भी संकोच नहीं करेगी।
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उत्तर प्रदेश से जिन सांसदों पर टिकट कटने की तलवार लटक रही है, उसमें कई ऐसे सांसद भी हैं जो वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री हैं। सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने चुनाव जीत सकने वाले कई ऐसे नेताओं की भी अलग से एक लिस्ट बनाई है जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश में विधायक हैं और उनमें से कई योगी सरकार में मंत्री हैं या योगी सरकार में पहले मंत्री रह चुके हैं। यूपी की कई सीटों पर पार्टी अपने वर्तमान सांसदों का टिकट काटकर इन्हें चुनावी मैदान में उतार सकती है।
बिहार की बात करें तो पार्टी अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले एक वर्तमान केंद्रीय मंत्री का टिकट भी 2024 के लोकसभा चुनाव में काट सकती है। हालांकि वह अपना संसदीय क्षेत्र बदलने की गुहार आलाकमान से लगा रहे हैं। बिहार से टिकट कटने वाले सांसदों की लिस्ट में तीन पूर्व केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं। बिहार में लोकसभा की 40 में से सभी 40 सीट जीतने के मिशन में जुटी बीजेपी इस बार एक दूसरे प्रदेश से वर्तमान में सांसद और पार्टी के चर्चित चेहरे को बिहार से लोक सभा चुनाव लड़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
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दिल्ली में पार्टी अपने एक पूर्व दिवंगत केंद्रीय मंत्री के परिवार के सदस्य को लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। दिल्ली के एक लोकसभा सांसद को पार्टी दूसरे राज्य से चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है तो वहीं दो अन्य सांसदों के टिकट काटने की भी तैयारी चल रही है। हरियाणा में पार्टी इस बार 5 सीटों पर उम्मीदवार बदलने की तैयारी कर रही है। तो वहीं इसके साथ ही बीजेपी मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, असम, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल और यहां तक कि अपने सबसे मजबूत गढ़ गुजरात में भी कई वर्तमान सांसदों का टिकट काटने जा रही है। गुजरात में पार्टी के कई दिग्गज राज्यसभा सांसद इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें वर्तमान सांसदों का टिकट काट कर ही टिकट दिया जाएगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इनमें से कुछ सांसदों का टिकट उम्र के फैक्टर की वजह से काटा जा रहा है, लेकिन ज्यादातर सांसद ऐसे हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे हैं। पार्टी की नजर ऐसे सांसदों पर भी बनी हुई है जो 2014 और 2019 में एक ही सीट से लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि इनमें से कई सांसदों ने पार्टी आलाकमान का रुख भांपकर आला नेताओं तक दौड़ लगाना शुरू कर दिया है तो वहीं कई सांसद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर टिकट बचाने की कोशिश में लग गए हैं।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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