वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी और बीजेपी ने संयुक्त रूप से दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर उस केस को रद्द करने का आग्रह किया है, जिसे जेठमलानी ने पार्टी से अपने निष्कासन को लेकर बीजेपी के खिलाफ किया था।
जेठमलानी ने यह कदम बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और महासचिव भुपेन्द्र यादव द्वारा निष्कासन को लेकर ‘अफसोस’ जताने के बाद लिया है।
बता दें कि जेठमलानी ने बीजेपी के खिलाफ मुकदमा कर अपने निष्कासन को चुनौती दी थी और अपने नुकसान की भरपाई के लिए 50 लाख रुपए की मांग की थी।
3 दिसंबर को बीजेपी के महासचिव भुपेन्द्र यादव के हस्ताक्षर से जारी एक पत्र में कहा गया कि बचाव पक्ष के अध्यक्ष और महासचिव ने याचिकाकर्ता से मुलाकात की और मुलाकात के दौरान उन्होंने निष्कासन को लेकर अपना गहरा अफसोस जताया। पत्र में यह भी लिखा गया कि उन दोनों ने पार्टी के प्रति याचिकाकर्ता के योगदान को भी स्वीकार किया।
पत्र में इस बात की जानकारी दी गई कि राम जेठमलानी यानी याचिककर्ता ने उनकी माफी की अर्जी को मान लिया और दोनों पक्षों ने मिलकर इसे सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने का फैसला लिया है।
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उसी रजामंदी के तहत आज दोनों पक्षों ने कोर्ट में अर्जी देकर इस मुकदमे को वापस लेने का आग्रह किया है। लेकिन एक तरह से देखा जाए तो वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने देश की सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह को न सिर्फ अपनी गलती का एहसास करा दिया, बल्कि माफी मांगने पर मजबूर भी कर दिया।
बता दें कि पिछले कुछ सालों से राम जेठमलानी लगातार बीजेपी और उसके नेताओं की कड़ी आलोचना करते रहे हैं, जिनमें पीएम मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली भी शामिल रहे हैं।
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