गोरखपुर जिले के राजेश उपाध्याय मुंबई के कांदिवली इलाके में रहकर पिछले कई सालों से रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान अधिकतर पांव-पैदल और कुछ दूर वाहनों पर सवार होकर उनका परिवार किसी तरह अपने गांव पहुंचा था। वहां रोजगार मिलने की राजेश की उम्मीद पूरी नहीं हो पाई और अंततः निराश होकर वह रोजी-रोटी के लिए मुंबई लौट आए। वह यह कहने में जरा भी नहीं हिचकते कि ‘योगी के शासन में विकास के काम कागजी ज्यादा हैं।’
ऐसी हालत के बावजूद उन्हें और उनके- जैसे लोगों को यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त यूपी ले जाने की बीजेपी नेता कोशिश कर रहे हैं ताकि बीजेपी दोबारा सत्ता हासिल कर सके। उत्तर भारतीय मोर्चा की प्रभारी श्वेता शालिनी का तर्क है कि ‘महाराष्ट्र में रहने वाले उत्तर भारतीयों ने अपने जनपद में जिन समस्याओं का सामना किया है, वे लोग चाहते हैं कि उनकी अगली पीढ़ी को उन समस्याओं से न जूझना पड़े। ऐसे ही लोग विकास के मुद्दे पर योगी के समर्थन में प्रचार करने जाएंगे।’
Published: undefined
शालिनी और अन्य नेता सीधे-सीधे नहीं कहते, पर अनौपचारिक चर्चा के दौरान वे बिहार विधानसभा चुनावों की याद दिलाते हुए यह अवश्य कहते हैं कि ‘तब भी विपक्ष को उम्मीद थी कि विभिन्न राज्यों से भागकर अपने गांव पहुंचे प्रवासी मजदूर बीजेपी के खिलाफ वोट करेंगे। लेकिन जो हुआ, वह सबके सामने है। वहां बीजेपी की सीटें भी बढ़ गईं। यही यूपी में भी होगा।’
लेकिन राजनीतिक विश्लेषक अजय सिंह इस पर संदेह जताते हुए कहते हैं कि ‘लॉकडाउन के दौरान पलायन की त्रासदी झेलने वाले प्रवासी मजदूर उस दर्द को भूल नहीं पाएं हैं। बिहार में चुनाव जल्दी हो गए थे इसलिए बेहतरी की उम्मीद में वहां कुछ लोगों ने बीजेपी को वोट भले ही दे दिए हों, हालात लगातार खराब हुए हैं इसलिए यूपी में वैसी स्थिति होने की उम्मीद बीजेपी को नहीं करनी चाहिए।’
पर, लगता है कि बीजेपी ने उम्मीद छोड़ी नहीं है। तब ही उत्तर भारतीय मोर्चा के अध्यक्ष संजय पांडेय कहते हैं कि गूगल फॉर्म जारी कर दिए गए हैं। इनमें यूपी के रहने वाले लोगों से उनके नाम, मोबाइल नंबर, महाराष्ट्र और यूपी के गांव के पते लिखने को कहा गया है। इस डेटा के आधार पर ही उन लोगों का चयन किया जाएगा जो स्वेच्छा से योगी के समर्थन में अपने जनपद में चुनाव प्रचार करना चाहते हैं या वोट देने के इच्छुक है। उनका खर्च बीजेपी उठाएगी।
Published: undefined
वैसे, मोर्चा के पास महाराष्ट्र में रहने वाले उत्तर भारतीयों का अपना एक डेटाबेस पहले से ही है जिसके आधार पर महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों की संख्या 1 करोड़ 45 लाख है। इसमें उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग शामिल हैं। उत्तर भारतीयों की यह संख्या कैसे जुटाई गई है, मोर्चा के नेता यह बताने से इनकार करते हैं। उधर, गैर-बीजेपीई नेताओं का मानना है कि उत्तर भारतीयों की यह संख्या हवा-हवाई है। मुंबई और ठाणे जिले में कई पीढ़ियों से रहने वाले यूपी और बिहार के लोगों की संख्या लगभग 45 लाख हो सकती है जबकि ठाणे जिले के अलावा नासिक, औरंगाबादऔर नागपुर में रोजगार के लिए प्रवासी मजदूर ज्यादा रहते हैं।
मोर्चा की प्रभारी श्वेता कहती हैं कि प्रवासी मजदूरों के पलायन के बाद योगी सरकार ने उन मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कराया है और वे आंकड़े हमारे पास हैं। हम जो डेटाबेस तैयार कर रहे हैं, उसमें इन प्रवासी मजदूरों को भी शामिल किया जा रहा है।
Published: undefined
इधर, कांग्रेस के प्रदेश महासचिव जाकिर अहमद का कहना है, ‘बीजेपी से आम लोगों का मोहभंग हो रहा है। वह कभी भी उत्तर भारतीयों की हितैषी नहीं रही है। यह, दरअसल, फर्जी वोटिंग की तैयारी है। जो लोग यहां दशकों से रह रहे हैं, उनका मतदाता पहचान पत्र भी यहीं का है। उन्हें गांव ले जाकर प्रचार कराना या वोटिंग कराना संदेहास्पद ही है।’
यूपी चुनाव नजदीक आने पर तरह-तरह की मांगें भी उठनी शुरू हो गई हैं जबकि इसकी तह में जाएं, तो यह कुल मिलाकर योगी सरकार की कमजोरी ही उजागर करती है।
अब जैसे, यहां का उत्तर प्रदेश भवन। यह भवन मुंबई से सटे वाशी इलाके में है। इसमें फाइव स्टार सुविधाएं तक हैं। 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका उदघाटन किया था। वकील रत्नेश मिश्रा का कहना है कि इस भवन में कैंसर मरीजों और छात्रों के रहने की सुविधा के लिए दो हाल आरक्षित किए गए थे। मगर अब यहां ये सुविधाएं नहीं मिलती हैं। मिश्रा ने इस बारे में योगी को एक शिकायत पत्र भी लिखा है।
Published: undefined
याद दिला दें कि पहले लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के कई कैंसर मरीजों को फुटपाथ पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा था और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार ने उन्हें फुटपाथ से उठाकर कुछ राहत केंद्रों में रहने की सुविधा दिलाई थी। जो है, वह सुविधा तो मिल नहीं रही; अब उत्तर भारतीय मोर्चा के अध्यक्ष पांडेय ने योगी सरकार से उत्तर प्रदेश भवन में अतिरिक्त 25 कमरे बनवाकर उत्तर प्रदेश से कैंसर का इलाज कराने मुंबई आने वालों को रहने की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है।
इस दौरान शिवसेना ने यूपी चुनाव में उतरने की घोषणा की है। इससे भी बीजेपी डरी हुई लगती है, हालांकि यह भी सच है कि शिवसेना उत्तर प्रदेश में कोई बड़ी राजनीतिक शक्तिनहीं है। फिर भी, शिवसेना नेताओं के कुछ पुराने बयानों की याद दिलाते हुए जौनपुर के मूल निवासी और कांग्रेस से आकर बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष बने कृपा शंकर सिंह ने कहा है कि जो उत्तर भारतीय शिवसेना को वोट देंगे, वे असली उत्तर भारतीय नहीं हैं। यह भावनात्मक रूप से अधिक धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश है। दरअसल, बीजेपी महाराष्ट्र में यूपी के रहने वाले मुसलमानों को उत्तर भारतीय नहीं मानती है जबकि ये लोग महाराष्ट्र और यूपी में चुनावी गणित को बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined