हरियाणा में सियासी घटनाक्रम बड़ा दिलचस्प हो चला है। चर्चा है कि बीजेपी हरियाणा में महाराष्ट्र जैसा खेल करने की फिराक में है। जेजेपी की बगावत में वह अपने लिए अवसर ढूंढ रही है। कोशिश यह है कि जन नायक जनता पार्टी के दो-तिहाई विधायकों को तोड़कर असली जेजेपी पर ही दावा करवा दिया जाए। इन हालात में जेजेपी से पार्टी सिंबल भी छीनने की तैयारी है। गुरुवार को पानीपत में जेजेपी के बागी कुछ विधायकों से पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर की गुप्त बैठक भी हुई है। घटनाक्रम बड़ी तेजी से चल रहा है। बीजेपी मुश्किल में फंसी अपनी सरकार को किसी भी हालत में इस भंवर से बाहर निकालना चाहती है।
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार से 3 निर्दलीय विधायकों पुंडरी से रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान के समर्थन वापस लेने के बाद बीजेपी सकते में है। लोकसभा चुनाव के बीच बीजेपी को लगे इस झटके से हाईकमान भी चिंतित है। लिहाजा, बीजेपी साम, दाम, दंड, भेद किसी भी तरह से राज्य की सरकार को बचाने के लिए सक्रिय हो गई है।
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सरकार को बचाने के लिए वह जेजेपी में खेला करने की फिराक में है। खबर है कि पानीपत में आज यानि गुरुवार को राज्यमंत्री महिपाल ढांडा के आवास पर बागी जेजेपी के विधायकों टोहाना से देवेंद्र बबली, नरवाना से रामनिवास सूरजखेड़ा और जोगीराम सिहाग की पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ गुप्त मीटिंग हुई है। यह मीटिंग करीब 1 घंटे तक चली है। जानकारी यह भी मिल रही है कि मीटिंग के बाद तीनों विधायक मनोहर लाल के साथ ही गए हैं।
इस मीटिंग की किसी को भी कानों कान खबर नहीं लगी। सूत्रों से जानकारी मीडिया तक पहुंचने पर आनन-फानन मीटिंग को खत्म कर दिया गया। इसके बाद राज्यमंत्री महिपाल ढांडा ने जेजेपी विधायकों के साथ किसी भी गुप्त मीटिंग से इनकार किया है। उनका कहना था कि करनाल से लोकसभा प्रत्याशी मनोहर लाल रोड शो खत्म कर हमारे यहां लंच पर आए थे।
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यह भी माना जा रहा है कि बीजेपी के लिए यह खेला करना इतना भी आसान नहीं है। जेजेपी को तोड़ने के लिए दो-तिहाई यानि 7 विधायकों की जरूरत है, लेकिन अभी यह संख्या 6 ही है। इनमें बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग, नारनौंद से रामकुमार गौतम, टोहाना से देवेंद्र बबली, नरवाना से रामनिवास सुरजाखेड़ा, गुहला से ईश्वर सिंह और शाहबाद से रामकरण काला शामिल हैं। बीजेपी जेजेपी से एक और विधायक तोड़ने की कोशिश में है।
अभी 4 विधायक जेजेपी के साथ हैं। इनमें खुद दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला, अनूप धानक और अमरजीत ढांडा हैं। 6 बागी विधायकों में से भी 2 विधायकों का झुकाव कांग्रेस की तरफ है। शाहबाद से जेजेपी विधायक रामकरण काला के दो बेटे कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वहीं, गुहला से विधायक ईश्वर सिंह ने सन्यास का ऐलान कर विरासत बेटे को सौंप दी है और बेटा कांग्रेस के साथ है।
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खबर यह भी आ रही है कि टोहाना से विधायक देवेंद्र बबली ने अपने घर पर एक मीटिंग बुला ली है। यहां जेजेपी के बागी विधायक इकट्ठा होकर विधायक दल का नेता चुन सकते हैं और उसके बाद चुनाव आयोग के सामने जेजेपी पर दावा ठोक सकते हैं। दूसरी खबर यह है कि देवेंद्र बबली कुछ विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच गए हैं। दुष्यंत चौटाला भी हालातों से पूरी तरह वाकिफ हैं। इसे देखते हुए ही उन्होंने हरियाणा की बीजेपी सरकार के अल्पमत में होने का दावा करते हुए फ्लोर टेस्ट की मांग उठा दी है।
देवेंद्र बबली की प्रतिक्रिया भी कुछ इशारा कर रही है। विधायक दल से चर्चा के बगैर ही कांग्रेस को समर्थन देन की बात पर वह भड़क उठे हैं। उनका कहना है कि दुष्यंत चौटाला को विधायक दल का नेता हमने चुना था। वह जेजेपी को अपने घर की पार्टी ना समझें। नैना चौटाला और दुष्यंत चौटाला के अलावा 8 विधायक और भी चुनकर आए थे। दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम हमने बनाया था और हम अपने वजूद से विधायक बने थे। व्हिप जारी करने का बयान देने से पहले अपने विधायकों को एकजुट करने की जरूरत है।
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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दुष्यंत चौटाला ने करीब एक साल से अपने विधायकों को फोन तक नहीं किया। आगे की लाईन एक संकेत है। वह कहते हैं कि 7 विधायक इकट्ठे होकर नेता ही बदल देंगे तो चौटाला परिवार क्या करेगा। विधायकों ने नेता ही बदल दिया तो मां-बेटा एक दूसरे को व्हिप जारी करेंगे। वह कहते हैं कि जेजेपी के जितने भी विधायक हैं, वह अपने वजूद पर जीत कर आए थे, पार्टी के सिंबल पर नहीं। देवेंद्र बबली जेजेपी कोटे से सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन कहा यह जाता था कि दुष्यंत चौटाला की जगह वह तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इशारे पर ही काम करते थे। अक्सर यह टकराव बाहर भी आ जाता था।
इस बीच, इनेलो ने भी गवर्नर को पत्र लिखकर राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की है। उसने कहा है कि यह सरकार विधानसभा सत्र बुलाने का अधिकार भी खो चुकी है।
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