पैगंबर पर अपमानजनक टिप्पणी के कारण दुनिया भर में थू-थू होने के बाद जहां सरकार बैकफुट पर है वहीं बीजेपी के भी हाथपांव फूले हुए हैं। ऐसे में बीजेपी ने अपने ऐसे 38 नेताओं की पहचान की है जो आमतौर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले बयान देते रहे हैं। इन नेताओं को पार्टी से पूछे बिना किसी भी धार्मिक मुद्दे पर बयान देने से मना किया गया है।
यह खबर हिंदी अखबार दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुई है। अखबार के मुताबिक जिन 38 नेताओं की पहचान की गई है उनमें से 27 को ऐसी हिदायत दी गयी है। अखबार के मुताबिक पैगंबर मोहम्मद (सअ.) पर टिप्पणी के बाद नूपुर शर्मा और नवीन कुमार पर कार्रवाई के बाद बीजेपी में अंदरूनी तौर पर काफी उथल-पुथल चल रही है। इसी क्रम में बीते 8 साल के दौरान नेताओं के बयानों का विश्लेषण किया गया है। आईटी विशेषज्ञों की मदद से सितंबर 2014 से लेकर 3 मई 2022 तक के दौरान सभी ताओँके बयानों को खंगाला गया।
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अखबार का दावा है कि इस विश्लेषण में बीजेपी नेताओं के 5,200 बयान गैर जरूरी पाए गए जबकि 2,700 बयानों में इस्तेमाल शब्दों को संवेदनशील पाया गया। इसी तरह 38 नेताओं की पहचान की गई जिनके बयानों को धार्मिक मान्यताओं को आहत करने वाली श्रेणी में रखा गया। अखबार ने दावा किया है कि जिन बीजेपी नेताओं के बयानों को धार्मिक भावनाएं आहत करने वाली श्रेणी में रखा गया है उनमें अनंत कुमार हेगड़े, गिरिराज सिंह, शोभा करंदलाजे, विनय कटियार, तथागत राय, प्रताप सिम्हा, टी राजा सिंह, महेश शर्मा, विक्रम सैनी, संगीत सोम और साक्षी महाराज के नाम शामिल हैं।
दरअसल बीजेपी के इस मंथन और कार्रवाई को नूपुर शर्मा के एक टीवी डिबेट में दिए बयान के बाद मचे बवाल का प्रभाव ही माना जा रहा है। वैसे तो मामले को शांत करने के लिए बीजेपी ने नूपुर शर्मा को सस्पेंड और नवीन कुमार को बीजेपी ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। लेकिन मुख्य कारण है अरब देशों में भारत के खिलाफ उबला गुस्सा। इन दोनों नेताओं पर कार्रवाई के बावजूद मामला शांत नहीं हुआ और दक्षिण एशियाई देशों तक फैल गया।
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अरब देशों के बाद मालदीव, लीबिया और इंडोनेशिया जैसे छोटे देशों ने भी अपना विरोध दर्ज कराया। इन सभी देशों ने पैगंबर की शान में गुस्ताखी के लिए भारत से माफी की मांग की है। इस बीच ओआईसी (इस्लामी देशों का संगठन) ने भी इस मामले में एतराज दर्ज कराया, हालांकि भारत ने इसे खारिज कर दिया।
वैसे भारत और ओआईसी पूर्व में एक दूसरे से टकरा चुके हैं। भारत लगातार जम्मू-कश्मीर मामले को लेकर ओआईसी की आलोचना करता रहा है।
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