चंडीगढ़ का नाम आते ही देशवासियों के जेहन में एक सबसे खूबसूरत शहर की तस्वीर उभरती है। लेकिन आज यह सच नहीं है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के सपनों का शहर में आज दिल्ली जैसे कूड़े के पहाड़ आपका स्वागत करते हैं। 'सिटी ब्यूटीफुल' का तमगा पाए यह शहर स्वच्छता के पैमाने पर निचले पायदान पर है और यह हुआ है डबल इंजन की सरकार में। केंद्र शासित प्रदेश यानि मोदी की सरकार और बीजेपी शासित नगर निगम के पास इसका जवाब नहीं है। यहां हो रहे नगर निगम चुनाव में कई मुख्यमंत्रियों तक को उतार देने वाली बीजेपी से चंडीगढ़ की जनता इसका जवाब मांग रही है।
चंडीगढ़ में जिस जगह कूड़े का पहाड़ खड़ा है वहां कभी क्रिकेट खेला जाता था। क्रिकेट जगत के सितारे युवराज सिंह और दिनेश मोंगिया जैसे खिलाडि़यों ने कभी यहां क्रिकेट खेला है। लेकिन आज कूड़े का पहाड़ लोगों के जीवन पर ग्रहण लगा रहा है। अखिल भारतीय कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला और पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने इसे लेकर भाजपा पर आज बड़ा हमला बोला।
कूड़े के पहाड़ के नीचे ही मीडिया से रूबरू होते हुए कांग्रेस के दोनों वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरु के सपनों से बनाए देश के बेहतरीन शहर ‘‘सिटी ब्यूटीफुल’’ चंडीगढ़ को मोदी सरकार व बीजेपी के नगर निगम ने ‘‘कूड़े के पहाड़’’ वाला शहर बना दिया है।
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डड्डूमाजरा में इस समय 15 लाख टन के कूड़े का पहाड़ ‘‘सिटी ब्यूटीफुल’’ के चंडीगढ़ के तगमे को नाक चिढ़ाता है और इससे उठने वाली भयंकर दुर्गंध व जहरीला धुआं शहर के लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करता जाता है। चंडीगढ़ शहर से रोज 500 टन ‘‘सॉलिड वेस्ट’’ निकलता है, यानि साल में लगभग 2 लाख टन।
वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पिछले पांच सालों में 10 लाख टन के कूड़े के पहाड़ तो खड़े कर दिए, लेकिन कूड़ा प्रोसेसिंग के नाम पर फूटी कौड़ी खर्च नहीं की। इससे बड़ा ताजमहल की ऊँचाई वाला (73 मीटर) कूड़े का पहाड़ अब केवल केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में खड़ा कर रखा है।
पिछले दो साल से मोदी सरकार व बीजेपी नगर निगम की देख-रेख में कूड़ा प्रोसेसिंग प्लांट पूरी तरह से बंद पड़ा है। चंडीगढ़ में हर रोज निकलने वाले कूड़े की प्रोसेसिंग अब भगवान भरोसे है। पांच साल में बीजेपी नगर निगम ने कूड़ा प्रोसेसिंग प्लांट चलाने वाली प्राईवेट कंपनी की न तो जांच करवाई और न ही एक फूटी कौड़ी भी पेनल्टी लगाई। इससे मिलीभगत और भ्रष्टाचार साफ है।
बीजेपी नगर निगम ने एक नायाब स्कीम चलाकर 24 करोड़ की लागत से कूड़े के पहाड़ से कूड़ा उठाकर चंडीगढ़ से बाहर ले जाने का ठेका एक और निजी कंपनी को दे दिया। पर चालाकी से पिछले दो साल में तीन बार कूड़े के पहाड़ पर आग लगवाई गई। चंडीगढ़ को तो वायु प्रदूषण की आग में झोंका ही, पर कूड़ा उठाने के नाम पर कितने लाख टन कूड़ा जला दिया गया, इसकी जांच कभी नहीं हुई।
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2017 तक चंडीगढ़ में ‘‘घर-घर कचरा कलेक्शन’’ अच्छे से चल रहा था। बीजेपी नगर निगम ने इसे एक प्राइवेट कंपनी को दे दिया। नतीजा यह हुआ कि कचरा इकट्ठा करने का खर्च 300 प्रतिशत बढ़कर 55 करोड़ से अधिक हो गया। न केवल कचरा इकट्ठा करने वाले मज़दूरों के पेट पर लात मारी गई, बल्कि कचरा इकट्ठा करने वाले कर्मियों की लागत, जो साल 2017 में 19,000 रुपये थी, वह अब बढ़कर 45,000 रुपये से अधिक हो गई है।
कांग्रेस के दोनों वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि साल 2015 तक चंडीगढ़ में पानी की दर मात्र दो रुपये प्रति किलो लीटर थी। बीजेपी नगर निगम व प्रशासन ने 2021 में इसमें 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ोत्तरी कर तीन रुपये व छह रुपये प्रति किलोलीटर कर डाला। यही नहीं, साल 2015 तक हर टॉयलेट सीट पर केवल 10 रुपये शुल्क था। बीजेपी ने इसे भी बढ़ाकर पानी के शुल्क का 30 प्रतिशत कर डाला। नगर निगम के चुनावों को देखते हुए इस पर थोड़ी देर रोक लगाई है, पर बीजेपी को चुनने का मतलब है, पानी और सीवरेज के दामों में 50 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी।
साल 2020 में ‘‘टैक्स असेसमेंट कमिटी’’ की सिफारिश पर 20 प्रतिशत हाउस टैक्स बढ़ा दिया गया, जिसका बोझ चंडीगढ़ के 1.5 लाख करदाताओं पर पड़ा इसमें 1,20,000 आवासीय श्रेणी के और 30,000 कमर्शियल व इंडस्ट्रियल श्रेणी के हैं। पहले ही 50 करोड़ की उगाही की जाती थी। अब 15 करोड़ रुपये का बोझ और डाल दिया गया।
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सुरजेवाला और पवन बंसल ने कहा कि संपत्ति के ओनरशिप/लीज़ राईट्स को ट्रांसफर करने पर और आवासीय संपत्तियों के नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के लिए जो प्रोसेसिंग फीस, 2000 थी, उसे 300 प्रतिशत बढ़ाकर 6000 कर दिया गया। संपत्ति की खरीद बिक्री पर एनओसी की फीस 1500 से 5000 कर दी गई। संपत्ति को मॉर्टगेज़ रखने के लिए अनुमति शुल्क 1000 से 5000 कर दिया गया। शॉप कम फ्लैट्स और शॉप कम ऑफिस की खरीद बिक्री के लिए भी जो प्रोसेसिंग फीस 2500/ 5000 थी, उसे सीधा 10,000 कर दिया गया। यह सीधे-सीधे जनता की लूट है। मोदी सरकार ने 2021-22 में चंडीगढ़ की जनता की मांग मानने की बजाय 483.88 करोड़ रुपया काटकर सिटी ब्यूटीफुल से कुठाराघात किया है (मांग 5,670 करोड़ थी, दिया 5,186 करोड़)। कोरोना के समय भी मोदी सरकार ने साल 2020 में चडीगढ़ का बजट 20 प्रतिशत काटने का फरमान जारी कर दिया, जिससे हरेक तिमाही में 260 करोड़ की कटौती हुई। कर्मचारियों के तनख्वाह तक देने के लाले पड़ गए और विकास ठप्प हो गया।
कांग्रेस नेताओं का कहना था कि दिल्ली फाईनेंस कमीशन की सिफारिशों के मुताबिक राजस्व का 30 प्रतिशत हिस्सा चंडीगढ़ को मिलना चाहिए। चंडीगढ़ का रेवेन्यू अब 4,000 करोड़ सालाना है। 30 प्रतिशत के हिसाब से 1200 करोड़ मिलना चाहिए, जबकि मोदी सरकार 50 प्रतिशत से भी अधिक कम महज 564 करोड़ दे रही है। यह भेदभाव नहीं, तो क्या है?
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