2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के लिए उम्रकैद के सभी 11 दोषियों की रिहाई ने केंद्र और गुजरात सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। केंद्र और गुजरात में बीजेपी की सरकारें हैं। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस नेता लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गुजरात सरकार और पीएम मोदी से कई सवाल किए हैं। पवन खेड़ा ने गुजरात सरकार पर देश को गुमराह करने के आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जिस दावे के तहत दोषियों को रिहाई की है वो सरासर गलत और झूठ है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के अंदर उस पर गुजरात सरकार से फैसला लेने के लिए कहा था। कोर्ट ने खुद कोई निर्णय नहीं दिया है।
Published: 17 Aug 2022, 2:09 PM IST
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि गुजरात सरकार जिस क्षमा दान और रिहाई नीति के तहत इन दोषियों को रिहा करने का दावा कर रही है, वो भी झूठ और गलत है। क्योंकि गुजरात सरकार ने इस नीति को तो बहुत पहले ही खत्म कर दिया है। पवन खेड़ा ने दावा किया कि 1992 की रिहाई नीति को गुजरात सरकार 8 मई 2013 को ही समाप्त कर चुकी है। फिर गुजरात सरकार ने उस नीति के तहत किसी को कैसे क्षमादान दे सकती है?
Published: 17 Aug 2022, 2:09 PM IST
पवन खेड़ा ने आगे कहा कि जब कोई केंद्रीय जांच एजेंसी किसी मामले की जांच करती है तो ऐसे मामलों में रिहाई का फैसला अकेले राज्य सरकार नहीं कर सकती। राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमित लेने होती है, फिर गुजरात सरकार ने इन्हें कैसे रिहा किया। उन्होंने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से सवाल किया कि क्या गुजरात सरकार ने इन 11 रेपिस्टों और हत्यारों को रिहा करने से पहले आपसे अनुमति ली थी? अगर हां तो इसे सार्वजनिक किया जाए ताकि पीएम मोदी की सच्चाई लोगों के सामने आ सके। उन्होंने आगे कहा कि अगर अनुमति नहीं दी गई थी तो पीएम बताएं कि गुजरात के सीएम के खिलाफ आप क्या एक्शन लेने वाले हैं।
Published: 17 Aug 2022, 2:09 PM IST
बता दें कि बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत रिहा कर दिया है। सभी 11 दोषी 15 अगस्त (सोमवार) को गोधरा उप-जेल से बाहर आ गए। जहां उनका स्वागत आरती उतार कर और तिलक लगा कर किया गया। अब राज्य सरकार के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। गौरतलब है कि इस साल जून में केंद्र सरकार ने सजायाफ्ता कैदियों के लिए विशेष रिहाई नीति का प्रस्ताव रखा था और इसके लिए राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए थे। दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि बलात्कार के दोषी उन लोगों में से हैं जिन्हें इस नीति के तहत विशेष रिहाई नहीं दी जानी है। गुजरात सरकार का फैसला बलात्कार के दोषियों को रिहा करने के केंद्र के विरोध के खिलाफ जाता है।
Published: 17 Aug 2022, 2:09 PM IST
2002 में गुजरात में दंगा भड़का था। इसी दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। उस वक्त बिलकिस बानो की उम्र 21 साल की थीं और वह पांच महीने की गर्भवती थी। 3 मार्च, 2002 को हुए इस घटना के दौरान उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी गई थी।
Published: 17 Aug 2022, 2:09 PM IST
गैंगरेप और हत्या के मामले में 2008 में मुंबई की एक विशेष अदालत ने 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा। इस साल की शुरुआत में, दोषियों में से एक ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत समय से पहले रिहाई की गुहार लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार से तीि महीने के अंदर फैसला लेने को कहा था।
Published: 17 Aug 2022, 2:09 PM IST
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Published: 17 Aug 2022, 2:09 PM IST